हे! प्रभु अपने घर में भी झांकिए, वहां भी है सुधार की जरूरत
ट्रेन में सफर कर रहे यात्री ने ट्वीट किया कि उनके कोच में सफाई नहीं हुई है, तो इसके जवाब में रेलवे ने अपने कर्मचारियों को भेजकर तुरंत सफाई करा दी….किसी रेलयात्री ने ट्वीट किया कि बच्चा भूखा है तो अगले स्टेशन पर उस बच्चे के लिए दूध पहुंचा दिया गया….रेलमंत्री सुरेश प्रभु का ट्विटर अकाउंट रेलयात्रियों को प्रदान की जाने वाली सुविधाओं के लिए चर्चा में रहता है। रेल यात्रियों के लिए यह एक सुखद अहसास है, जिसकी तारीफ भी की जानी चाहिए। लेकिन इसी ट्विटर अकाउंट का दूसरा दुखद पहलू यह भी है कि जब रेलवे में भ्रष्टाचार का खुलासा करने के बाद उसकी जानकारी उस ट्विटर अकाउंट पर भी डाली जाने के बावजूद न तो उसके बारे में कोई जवाब दिया जाता है और न ही केन्द्रीय स्तर पर उन दोषियों पर कार्रवाई की जाती है।
अगर रेलमंत्री रेलवे में तेजी से बढ़ रहे भ्रष्टाचार पर भी अंकुश लगाने में कामयाब हो जाएं तो रेलयात्रियों न केवल ज्यादा सुखद अहसास होगा, बल्कि उनकी रेल यात्रा भी सुखद और आसान हो जाएगी। क्योंकि अभी तक रेलवे को न तो दलालों से छुटकारा मिला है और न ही ऐसे टीटीई से निजात मिल पाई है, जो चंद रुपयों के लालच में किसी सुपात्र की सीट अपात्रों को दे देते हैं।
ताजा घटनाक्रम अजमेर से जयपुर के बीच चल रही ट्रेनों का है। राजस्थान पत्रिका ने इस रूट के बीच टिकटों के लेकर चल रही हेराफेरी को उजागर किया और इसकी एक खबर को रेलमंत्री के ट्विटर अकाउंट पर टैग भी किया था, लेकिन इस पर न तो कोई जवाब आया और न ही कोई कार्रवाई हुई। हालांकि इस स्टिंग के बाद लोकल लेवल पर रिश्वत मांग रहे दो टीटीई निलंबित हो चुके हैं। यहां गौर करने वाली बात यह है कि अगर ये पहल रेलमंत्री प्रभु की ओर से की गई होती तो इसका सीधा प्रभाव उन भ्रष्टाचारियों पर पड़ता तो जो केवल रुपयों की हेर-फेर में लगे रहते हैं।