क्या हुआ शादी के बाद रूपा के साथ, जानकर आपके रोंगटे भी हो जाएंगे खड़े
लड़की विदा हुई या फिर बिक गई, परिजनों को पता नहीं चला. अपने सुनहरे सपने सजाये रुपा कुमारी गजियाबाद शादी कर पति के साथ गयी. लेकिन पति के रुप में हैवान निकाला, जिसकी दास्तां सुनकर आपके भी रोंगटे खड़े हो जाएंगे. यह वाक्या पाकुड़ की बेटी के साथ घटी है.
दिखाया शादी के सपने
पाकुड़ में 80% लोग गरीब हैं. गरीबों की बेटी को निशाना गाजियाबाद और दूसरे शहरों के लोग बना रहे हैं. कुछ ऐसा ही हुआ रिक्शा चालक की बेटी रूपा तुरी के साथ. गाजियाबाद जिला के पंकज चौधरी, पिता-सुरेश चौधरी, गांव पुथारी, थाना पोस्ट-मोदीनगर आए और पाकुड़ में शादी करने की इच्छा जाहिर की. रिक्शा चालक की बेटी रुपा तुरी को निशाना बनाया. अपने मंसूबे को पूरा करने के लिए पैसे देकर एक स्थानीय बिचौलिया को पकड़ा. बिचौलिया ने परिजनों को बातों से पटाया और रुपा कुमारी वो सपना दिखाया जो शादी के लिए एक लड़की देखती है. फिर 18 नवम्बर 2014 को कोर्ट से शपथ पत्र के माध्यम से शादी कर गाजियाबाद ले गया. पिता को पांच हजार रुपए दिए गए. साथ में भाई और मां गई. एक सप्ताह तक एक किराए के घर में रखा और पूरा सम्मान किया.
बिना कपड़े रात भर खड़ी रखता
जैसे ही माँ और भाई वापस गए, उसे गांव लेकर चला गया. वहां पति ने अपना हैवान रूप दिखाना शुरू किया. 17 महीने अमानवीय शोषण के बीते. हाल के दिनों में तो रुपा को खाना तक बंद कर दिया गया. जंजीर में बांध कर बेरहमी से पीटा जाता. शादी में दी गई राशि वापस मांगी जाती. जाति सूचक गालियां दी जाती. रात में शरीर से वस्त्र हटाकर मच्छर कटवाता था. निर्वस्त्र मवेशी की तरह उसके पास खड़े रहने को विवश करता. फिर सुबह कपड़े देकर मवेशियों की सेवा में लगाता. गाय भैंस की साफ सफाई, खाने-पीने की व्यवस्था के बाद का समय गोबर से गोयठा यानी उपले बनाने में बीतता.
खाना मांगने पर मिलती मार
इन सबके बाद यदि भूखी रूपा खाना मांग लेती तो उसे परिवार बेतरह पीटता. फिर एक दिन जीवन का अंतिम दिन मान कर छत से रुपा कूद गयी. लेकिन गोबर की ढेर में गिरी तो बच गयी. वापस उस नरक में जाने की बजाय उसी हालत में सड़क पर भागती रही.
अनजान की मदद
भागने के क्रम में बैलगाड़ी वाला मिला जो पहले पागल समझा. रूपा की बात सुनी तो द्रवित हो गया. कुछ दिन बेटी की तरह घर रखकर उसक इलाज कराया. ठीक होने पर दिल्ली से कोलकाता जाने वाली गाड़ी पर बैठा दिया. ट्रेन पर कुछ मजदूर बैठे थे.बातचीत में उनसे भी रूपा ने दर्द साझा किया. उन लोगों ने उसे पाकुड़ जाने वाली गाड़ी पर बैठाने में मदद की. पाकुड़ पहुंचने पर पूरा परिवार रूपा के साथ महिला थाना शिकायत के लिए गया. पर जैसा कि पीड़िता के पिता नीमचंद तूरी ने बताया कि पूरे परिवार को थाने वालों ने भगा दिया क्योंकि बिचौलिए के साथ थाना वालों की सांठगांठ थी.
न्याय की जगी उम्मीद
बाद में जानकारी मिलने पर डीएसपी नवनीत हेम्रब और एसडीपीओ संतोष कुमार रुपा कुमार के घर पहुंचे. दास्तां सुनकर पुलिस वालों के भी रोंगटे खड़े हो गए. मामले में प्राथमिकी दर्ज कर लिया गया. पुलिस ने परिजनों को आर्थिक सहायता देने की आश्वसन दिया है क्योंकि पूरे परिवार को दो जून की रोटी नसीब नहीं होती है. अधेड़ उम्र में पिता रिक्शा चलाता है तो माँ दूसरे के घरों में चौका बर्तन करती है. भाई मजदूरी का काम करता है. ऐसे में रुपा का क्या होगा, उसे यह चिन्ता दीमक की तरह खाये जा रही है.