आदिवासी नाबालिग लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म, एफआईआर दर्ज कराने में लगे चार महीने
छत्तीसगढ़ के सूरजपुर के विश्रामपुर में एक आदिवासी नाबालिग लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म का मामला सामने आया है. सबसे खास बात यह कि पीड़िता के परिजनों को इस घटना की एफआईआर दर्ज कराने में ही चार महीने लग गए. वहीं एफआईआर दर्ज होने के दो माह बाद भी इंसाफ के लिए पीड़िता के परिवार को पुलिस के आला अधिकारियों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं, जबकि दुष्कर्म के आरोपी आज भी खुले घूम रहे हैं तो दूसरी ओर पुलिस और आरोपियों की धमकियों के चलते परिजन डर के साए में जीने को मजबूर हैं.
दरअसल 15 वर्षीय आदिवासी नाबालिग लड़की को दो युवकों ने शादी का झांसा देकर उसके साथ दुष्कर्म किया और फिर गर्भवती होने पर गर्भपात भी करवा दिया. सड़क दुर्घटना में पिता का साया पीड़िता के सिर से पहले ही उठ चुका था. ऐसे में पीड़िता के मौसा को जब मामले की जानकारी मिली तो वह पीड़िता को लेकर थाने पहुंचे. इसके बाद पुलिस का घिनौना खेल शुरू हो गया. पीड़िता की रिपोर्ट लिखने के लिए इस थाने से उस थाने तक चक्कर लगवाए जाते रहे. इसके बावजूद एफआईआर तक दर्ज नहीं हुई.
गौरतलब है कि संविधान में नाबालिग बच्चियों के साथ होने वाली दुष्कर्म की घटनाओं को रोकने के लिए कई नियम-कानून बनाए गए हैं. वहीं कई संगठन और आयोग दुष्कर्म पीड़िताओं के साथ खड़े होने का दावा करते हैं और पुलिस विभाग भी कड़े कदम उठाने का दावा करता है, लेकिन सूरजपुर में पुलिस विभाग के लिए एक आदिवासी नाबालिग लड़की से दुष्कर्म केवल एक जांच का विषय बनकर रह गया है.