देहरादून: राज्य आंदोलनकारी एवं आप के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता संजय भट्ट ने दावा करते हुए यदि आंकड़ों पर गौर किया जाये तो उत्तराखंड में फिर एक बार भाजपा की स्पष्ट बहुमत की सरकार बनने जा रही है। यहां एक बयान में उन्होंने कहा कि अब जब निर्वाचन आयोग ने उत्तराखण्ड विधानसभा चुनाव 2022 के अंतिम आंकड़े जारी कर दिए हैं, तो आकड़ों को देख कर बीजेपी सरकार की उत्तराखण्ड में वापसी ही दिखाई दे रही है। उन्होंने बताया कि उत्तराखण्ड निर्वाचन आयोग के अनुसार उत्तराखण्ड प्रदेश में इस पांचवे विधानसभा चुनाव में कुल 65.37 प्रतिशत वोट डाले गए।
उन्होंने कहा कि जबकि 2017 में यह आंकड़ा 65.56 प्रतिशत था। संजय भट्ट ने कहा कि उत्तराखण्ड के पहले विधानसभा चुनाव 2002 में मात्र 54.34 मतदान हुआ और सत्ता परिवर्तन होकर कांग्रेस की सरकार आ गई। उन्होंने कहा कि जबकि 2007 में 59.45 प्रतिशत मतदान हुआ, 5 प्रतिशत वोट बड़ा और सत्ता परिवर्तन हुआ और भाजपा सरकार आई। वहीं 2012 में 66.17 प्रतिशत मतदान हुआ जो पिछली बार से करीब 7 प्रतिशत अधिक था और सत्ता परिवर्तन हुआ और कांग्रेस एक बार फिर उत्तराखण्ड की सत्ता में लौट कर आ गई। उन्होंने कहा कि जबकि 2017 में 65.56 प्रतिशत मतदान हुआ, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लहर में कांग्रेस 11, बसपा शून्य, यूकेडी शून्य पर सिमट कर रह गई। उन्होंने कहा कि जबकि अब 2022 में उत्तराखण्ड में 65.37 प्रतिशत मतदान हुआ है, जोकि पिछले विधानसभा चुनाव से मात्र 0.19 प्रतिशत ही कम है।
उन्होंने कहा कि इस बार के विधानसभा चुनाव से यह तो स्पष्ट हो जाता है कि जनता ने बाहर निकल कर वर्तमान सरकार के खिलाफ प्रचंड रोष प्रकट नहीं किया और न ही दुखी होकर वोट डालने से दूरी बनाई। उन्होंने कहा कि वरना वोट प्रतिशत करीब 5 प्रतिशत ज्यादा या कम होता है। उन्होंने कहा कि वहीं बीएसपी, आप, यूकेडी और निर्दलीयों को मिलने वाला वोट प्रतिशत भी इजाफा करता हुआ नजर आ रहा है, जिसका सीधा फायदा भारतीय जनता पार्टी को मिलना ही नजर आता है। कांग्रेस की 2017 की 11 सीटों में कुछ इजाफा होता हुआ तो ग्राउंड पर जरूर नजर आ रहा है, लेकिन कांग्रेस का यह इजाफा कितना होगा यह तो 10 मार्च ही बताएगा।
उन्होंने कहा कि लेकिन सत्ता विरोधी वोट बंटता हुआ जरूर नजर आ रहा है। बसपा, यूकेडी और आप ने सत्ता विरोधी वोट, जोकि कांग्रेस को जाना था, उस पर सेंधमारी कर दी, जिससे कांग्रेस को नुकसान और बीजेपी को फायदा दिखाई दे रहा है। अब सभी की निगाहें 10 मार्च को होने वाली मतगणन पर टिकी हुई हैं।