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बीसीए की वैधानिकता के ऊपर सवालिया निशान के बाद आदित्य वर्मा ने की इस्तीफे की मांग
पटना: बीसीसीआई के सीओए ने वर्तमान परिस्थिति मे बीसीए के दोनो गुट के योग्यता के उपर सवालिया निशान लगा कर कह दिया है कि जब तक न्यायालय से बीसीए के दोनो गुट क लोग अपने लिए आदेश नही लाते है सीओए किसी भी गुट के वैधता को स्वीकार नही करेगा. इसके बाद सीएबी के सचिव आदित्य वर्मा ने मांग की है कि बीसीए के सचिव, कोषाध्यक्ष, अध्यक्ष सहित सीओएम के पदाधिकारी बिहार क्रिकेट के हित के लिए अविलम्ब त्याग पत्र दे कर बीसीसीआई के सीओए को खबर कर दे क्योकि बीसीसीआई के सीओए के मेल ने ये क्लियर कर दिया है कि वर्तमान परिस्थिति मे बीसीए के किसी भी गुट की वैधानिकता नहीं है. आदित्य वर्मा ने आरोप लगाया कि गोपाल वोहरा वाली बिहार क्रिकेट एसोसिएशन ने बीसीसीआई में अनेको बार आप सभी मित्रों ने झूठा हलफनामा दे कर गुमराह करने का काम किया है.
उन्होंने कहा कि सीओए जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बीसीसीआई के काम काज को देख रहे है, उनको भी झूठे झॉसे मे रखने का काम सचिव ने किया था. इसलिए कानून की दूहाई दे कर मै आपसे विनती कर रहा हूँ कि बीसीए को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया जाए या अपना अपना त्याग पत्र दे कर सीओए को भेज कर बिहार के क्रिकेट प्रेमियों से माफी मांग ले.
आदित्य वर्मा ने ये आरोप लगाये है जिसमे कहा गया है कि आपका बिहार क्रिकेट एसोसिएशन बिहार सरकार के निबंधन विभाग मे निबंधनीत संस्था है यह सरासर गलत है. उन्होंने ये भी जोड़ा कि सीओए को पत्र भेज कर बीसीए सचिव ने कहा था कि बीसीसीआई के संविधान के अनुसार माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में बीसीए ने अपना संबिधान संशोधन कर दिया है. जब संस्था ही सोसाईटी रजिस्टरेशन एक्ट 21, 1860 के तहत बिहार सरकार के निबंधन विभाग मे निबंधनीत हुआ ही नहीं है. तीसरा आरोप लगाया गया कि
2010 मे मिले 50 लाख रुपये तथा मैदान मे उपयोग करने हेतु करोड़ो के सामान की वर्तमान सचिव जो तत्कालीन बीसीए के कोषाध्यक्ष पद पर रहते हुए बीसीसीआई को ऑडिट रिपोर्ट देने मे विफल होने के कारण बीसीसीआई ने बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के उपर नाराजगी जताते हुए तत्कालिक अध्यक्ष लालू प्रसाद जी को खबर कर दिया था ।
आदित्य वर्मा ने ये आरोप लगाये है जिसमे कहा गया है कि आपका बिहार क्रिकेट एसोसिएशन बिहार सरकार के निबंधन विभाग मे निबंधनीत संस्था है यह सरासर गलत है. उन्होंने ये भी जोड़ा कि सीओए को पत्र भेज कर बीसीए सचिव ने कहा था कि बीसीसीआई के संविधान के अनुसार माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में बीसीए ने अपना संबिधान संशोधन कर दिया है. जब संस्था ही सोसाईटी रजिस्टरेशन एक्ट 21, 1860 के तहत बिहार सरकार के निबंधन विभाग मे निबंधनीत हुआ ही नहीं है. तीसरा आरोप लगाया गया कि
2010 मे मिले 50 लाख रुपये तथा मैदान मे उपयोग करने हेतु करोड़ो के सामान की वर्तमान सचिव जो तत्कालीन बीसीए के कोषाध्यक्ष पद पर रहते हुए बीसीसीआई को ऑडिट रिपोर्ट देने मे विफल होने के कारण बीसीसीआई ने बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के उपर नाराजगी जताते हुए तत्कालिक अध्यक्ष लालू प्रसाद जी को खबर कर दिया था ।