महंगाई पर अंकुश के लिए मोदी सरकार की चौतरफा तैयारी, पेट्रोल-डीजल के बाद अब इन चीजों की बारी
नई दिल्ली। महंगाई पर अंकुश के लिए सरकार ने चौतरफा तैयारी तेज कर दी है। इसमें सरकार को रिजर्व बैंक से भी सहयोग मिल रहा है। पिछले दिनों पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क घटाने और कोकिंग कोयला समेत अन्य जिसों पर आयात शुल्क पर राहत देने के बाद अब सरकार खाने-पीने की चीजों जैसे खाद्य तेलों पर शुल्क में कटौती की संभावना तलाश रही है। मामले से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इसके अलावा सरकार उद्योगों को राहत देकर आम आदमी तक सस्ती सामान उपलब्ध कराने के उपायों पर भी विचार कर रही है।
वहीं सरकार ने सालाना 20-20 लाख टन कच्चे सोयाबीन और सूरजमुखी तेल के आयात पर सीमा शुल्क तथा कृषि अवसंरचना उपकर को मार्च, 2024 तक हटाने की घोषणा की है। वित्त मंत्रालय की तरफ से मंगलवार को जारी अधिसूचना के अनुसार सालाना 20 लाख टन कच्चे सोयाबीन और सूरजमुखी तेल पर वित्त वर्ष 2022-23 और 2023-24 में आयात शुल्क नहीं लगाया जाएगा। सरकार का मानना है आयात शुल्क में इस छूट से घरलू कीमतों में नरमी आएगी और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।
विश्लेषकों का कहना है कि पिछले दिनों ईंधन पर कर में कटौती और लोहा, इस्पात, कोयला, प्लास्टिक और सीमेंट की कीमतों को कम करने के उपायों से खुदरा महंगाई कम हो सकती है। उनका कहना है कि मई में खुदरा महंगाई दर घटकर 6.5-7.3 फीसदी रहने की संभावना है। इसके अलावा जून के बाद महंगाई में 0.40 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल में आठ साल के उच्च स्तर 7.79% पर पहुंच गई। नोमुरा के विश्लेषकों का कहना है कि निश्चित तौर पर ईंधन कर में कटौती का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष असर निकट भविष्य में महंगाई पर पड़ेगा और इसमें 0.30 से 0.40 तक कमी आने की संभावना है।
महंगाई रोकने को जीएसटी में संशोधन अभी टलेगा
सरकार का जोर फिलहाल महंगाई को नियंत्रित करने के उपाय पर है। रिजर्व बैंक ने भी महंगाई को सबसे बड़ी मौजूदा चुनौती करार करार दिया है। ऐसे में जीएसटी में संभावित संशोधन टलने की आशंका है। मामले से जुड़े सूत्रों ने कहा कि कुछ वस्तुओं को 18 फीसदी कर श्रेणी से हटाकर 28 फीसदी में करने और मौजूदा समय में कर के दायरे से बाहर की कुछ वस्तुओं को पांच फीसदी कर के दायरे में लाने पर विचार हो रहा था। हालांकि, महंगाई के रौद्र रूप को देखते हुए जीएसटी में बदलाव पर फिलहाल फैसला होने की संभावना नहीं है।
आयात पर राहत देने की तैयारी
ईंधन और कुछ जिंसो पर उत्पाद शुक्ल घटाने के बाद सरकार अब खाद्य पदार्थों के आयात शुल्क पर कटौती के विकल्प पर विचार कर रही है। मामले से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इसके तहत दलहन और तेलहन के आयात को सस्ता करने की तैयारी चल रही है। इसके अलावा देश में उद्योग को कुछ अन्य राहत देकर भी महंगाई पर अंकुश लगाने की योजना है। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार के इस कदम से राजस्व में कमी आने से राजकोषीय घाटा बढ़ेगा, लेकिन महंगाई पर अंकुश लगाने में यह मददगार साबित होगी।
उत्पाद शुल्क में कमी से आने वाले समय में मुद्रास्फीति की तेजी पर अंकुश लगाने और मौद्रिक नीति को पूरक बनाने में मदद मिलेगी। हमारा अनुमान है कि मई 2022 में खुदरा महंगाई दर 6.5 से सात फीसदी के बीच रहेगी।