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दिल छू लेती है बरौली खरका के अवनीश की कलाकृतियां

हमीरपुर (रविन्द्र सिंह) : किसी ने सच ही कहा है कि मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है। पंख से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है। बुंदेलखंड के हमीरपुर जिले के सरीला तहसील के अति पिछड़े जो मूलभूत सुविधाओं से दूर एक ऐसा गांव है, जहां पर एक 25 वर्षीय युवक ने बिना किसी की मदद से अपने गांव, जिला व प्रदेश का नाम रोशन करने की ठानी है। अभी तक वह अपनी कलाकारी का लोहा देश और विदेश में मनवा चुका है और दर्जनों पुरस्कार अपने नाम कर चूका है लेकिन अब वह अपना नाम गिनीज बुक में दर्ज करवाकर देश का नाम रोशन करना चाहता है।

बुन्देलखण्ड के हमीरपुर जिले के अति पिछड़े गांव बरौली खरका में, जहाँ मूलभूत सुविधाओं का टोटा है। वहां एक गरीब परिवार में पैदा हुए अवनीश ने जिले ही नहीं पूरे देश में हमीरपुर जिले का नाम रोशन करना चाह रहा है। इस कार्य में अवनीश को परिवार के अलावा किसी अधिकारी व जनप्रतिनिधि का सहयोग नहीं मिला। हमीरपुर जिले के अति पिछड़े क्षेत्र में जन्मे विलक्षण प्रतिभा के धनी अवनीश का जन्म बरौली खरका में 4 जुलाई 1993 को हुआ था। मध्यम परिवार में जन्मे अवनीश के पिताजी जयप्रताप अपने परिवार का भरण पोषण फर्नीचर का कार्य करके चलाते हैं।

अवनीश के परिवार में माता—पिता के अलावा सबसे बड़ी बहन मध्यमा, भाई ऋषि विश्वकर्मा, श्रवण विश्वकर्मा हैं। बहनों व भाइयों में सबसे छोटा है अवनीश। माता चंद्रा देवी गृहणी हैं। कक्षा 5 तक अवनीश की शिक्षा बरौली गांव के प्राइमरी स्कूल में हुई। इस दौरान अवनीश छोटे बच्चों के खेलने के सामान, उलसा बिल्ला और बच्चों के ट्रैक्टर बनाकर मेले में बेचा करते थे। अवनीश बताते हैं कि एक-एक सामान के लिए मुझे 10 रुपये मिलते थे। इसके बाद अवनीश ने कक्षा 8 शिशु शिक्षा निकेतन महोबा से पास किया।कामकाम न मिलने और कारखाने में अधिक बढ़ोत्तरी न होने पर पिताजी ने मुझे और मेरे बड़े भाई को वापस बुला लिया और कारखाना गांव में शिफ्ट कर लिया था। हाईस्कूल के बाद फिर अवनीश ने 11वीं सनातन धर्म इंटर कॉलेज उरई में दाखिला लिया।

अवनीश के मुताबिक कक्षा 11 में एक पेपर में देर से पहुंचने पर मैं फेल हो गया, मुझे मजबूरन इंटरमीडिएट में इलाहाबाद से फॉर्म भर कर पास करना पड़ा। मेरी आर्ट काफी अच्छी थी पर मैं वैज्ञानिक बनना चाहता था तो विज्ञान व गणित बहुत पड़ता था और आर्ट पेन से बनाने लगा था। इसके बाद अभिनव प्रज्ञा महाविद्यालय राठ से बीएससी मैथ से स्नातक की डिग्री ली है, पहली साल थी जब मुझे पूरी पढ़ाई में छात्रवृत्ति मिली थी। मैं बीटेक करना चाहता था। मेरी पारिवारिक स्थिति सही न होने पर, पापा पहले से कर्ज में थे तो मैं नहीं चाहता था कि दोबारा कर्ज में दबें। हमीरपुर मुख्यालय से लगभग 85 किलोमीटर दूर सरीला तहसील में स्थित यह छोटा सा गांव है बरौली खरका। पच्चीस वर्षीय युवा कलाकार अवनीश विश्वकर्मा जो अपने माता—पिता के साथ यहा रहता है। अवनीश को बचपन से ही कुछ अलग करने की सोच ने ही उन्हें आज उस मुकाम पर खड़ा कर दिया है, जहां पर शायद ही कोई पहुंच सकता है। अवनीश ने पिछले दो सालों में सैकड़ों पेंटिंग बनाई है जिसे देखकर लोग दंग हो जाते हैं। ऐसी ही एक पेंटिंग पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम की बनायी है, जो अपने आप में एक अनोखी कलाकृति है। इस अनोखी कलाकारी के लिए अवनीश कई प्रमाण पत्र व मेडल पा चुके हैं।

अवनीश ने बताया कि सबसे पहले मुझे हॉट मनिया द्वारा आयोजित नेशनल बर्ड में मुझे बेस्ट अवार्ड से सम्मानित किया गया। दर्जनों अवार्ड जिनमें एशिया पेसिफिक रिकार्ड जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 825 आर्टवर्क गुजरात राजकोट में एक्सिबेशन में तीन रिकॉर्ड नेशनल, ग्लोबल, एशिया पेसिफिक रिकॉर्ड 2019 से समान्नित किया गया।

गांधी आर्ट गैलरी दिल्ली में एक्सिस आर्टज़ोन द्वारा आयोजित इंटरनेशनल ग्रुप ऑफ आर्ट एक्सिवशन जिसमें 9 देशों के 25 आर्टिस्ट ने प्रतिभाग किया। 2019 का प्रथम बेस्ट आर्ट वर्क मेडल से अवनीश को सम्मानित किया गया। स्वामी विवेकानंद का स्टेपलर आर्ट वर्क जिसे 17005 स्टेपलर द्वारा बनाया गया जिसमें अवनीश को इंडिया बुक रेकॉर्ड 2019 से सम्मानित किया गया। डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का स्टेपलर आर्ट वर्क जिसे 30601 स्टेपलर द्वारा व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 3932 किलो से नेल आर्ट, मदर टेरेसा का सनलाइट आर्ट जिसमें किसी औजार और कलर पेन, पेंसिल का प्रयोग नहीं किया गया। यह चित्रण अनोखी अद्भुत है। जिसमें सभी धर्मों, मनुष्य के जीवन काल को बखूबी चित्रण के माध्यम से दिखाया गया। जिसमें अवनीश को इंटरनेशनल अवार्ड 2019 से सम्मानित किया गया। शेडो आर्ट, परछाई चित्रण, जिसमें एक से बढ़कर एक बुन्देलखण्ड के किसान की दुर्दशा, देश में बढ़ता प्रदूषण सहित देशभक्तों सहित अन्य चित्रण बखूबी बनाये, जिनमें डॉ अब्दुल कलाम, माइकल जेक्सशन, वर्डवाय, द्वितीय विश्व युद्ध, सुभाष चंद्र बोस, भोलेशंकर, कर्ज से परेशान किसान द्वारा फांसी पर झूलता।


किसान पर आधारित डॉट पेंटिंग 45554 डॉट द्वारा, जिसमें सम्पूर्ण बुन्देलखण्ड के किसान की दुर्दशा का बखूबी चित्रण किया गया। स्वामी ब्रह्मानन्द जी अनूठा चित्र लकड़ी, एल्युमिनियम, नट बोल्ट कलर प्लाई से बनाया। लकड़ी के बर्तन, समय के लिये अद्भुत घड़ी जिसमें माता पिता पुत्र के हाथ चक्र द्वारा समय सहित अन्य पेंटिंग व चित्रण से चित्रण बनाया गया, जिसमें 2019 से सम्मानित किया गया। एक ओर रिकॉर्ड 27 जुलाई 2020 स्वामी ब्रम्हांन्द जी की यूनिक थ्रीडी को प्रोटेक्ट इंडिया बुक रिकॉर्ड में शामिल किया। वहीं अवनीश के पिता ने इस काम में पूरा सहयोग दिया है और अपने बेटे के इस कला के लिए वह हमेशा उसे प्रोत्साहित कर आगे बढ़ने में मदद करते हैं। हमीरपुर जिले के इस छोटे से गांव में जहां कोई भी मुलभुत सुविधाएं नहीं हैं, वहां से एक नौजवान ने अपने हुनर के दम पर एक नया कीर्तिमान हासिल किया है, अवनीश के इस हौसले को सभी लोग सलाम करते हैं।

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