प्रकृति पर आस्था व उससे जुड़ाव भारतीय संस्कृति की परम्परा रही- मुख्यमंत्री
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे पर्व प्रकृति एवं परमात्मा से जोड़ने का एक माध्यम हैं। प्रकृति पर आस्था व उससे जुड़ाव भारतीय संस्कृति की परम्परा रही है। उन्होंने कहा कि यदि हमारा पर्यावरण शुद्ध एवं संतुलित रहेगा तो पर्व एवं त्योहारों को हम मनाने में सफल होंगे।
मुख्यमंत्री आज यहां गोमती तट पर छठ पूजा के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने प्रदेशवासियों को सूर्य उपासना के महापर्व छठ पूजा की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए कहा कि छठ पूजा एक कठिन व्रत है, जो अलग-अलग चरणों में सम्पन्न होता है। भोजपुरी समाज द्वारा छठ पर्व देश और दुनिया में पूरी आस्था, उमंग एवं हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस पर्व पर अस्ताचल एवं सूर्योदय पर भगवान सूर्य देव को अघ्र्य दिया जाता है। कड़ी ठण्ड पर भी माताएं, बहनें प्राकृतिक व्यवस्था की पूजा करती हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि लोक आस्था से जुड़े पर्व एवं त्योहारों पर शासन एवं प्रशासन अपना पूर्ण सहयोग प्रदान कर रहा है। आम जनमानस के स्वास्थ्य, सुरक्षा एवं विकास के लिए प्रदेश सरकार पूरी तरह से तत्पर है। हमारे पर्व एवं त्योहार लोक आस्था के प्रतीक हैं तथा यह व्यक्तिगत आस्था के साथ ही पर्यावरणीय उन्नयन के भी माध्यम हैं। यदि हमारी नदियां व जलाशय प्रदूषित होंगी, तो इससे हमारी आस्था भी प्रभावित होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विगत 19 माह से देश और दुनिया वैश्विक महामारी कोरोना से प्रभावित है। विश्व के कई विकसित देशों में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़े हैं। किन्तु प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में देश एवं प्रदेश में कोरोना पूरी तरह से नियंत्रित है। कोरोना नियंत्रण में आमजन की सक्रिय सहभागिता रही है। उन्होंने कहा कि मानव समाज को प्राकृतिक व्यवस्था के साथ संतुलन बनाकर चलना होगा, तभी हम अपनी लोक आस्था को अक्षुण्ण रख पाएंगे। उन्होंने कार्यक्रम के दौरान एक स्मारिका का विमोचन भी किया।