देश को झकझोर देने वाले तीन प्रमुख हत्याकांड के दोषियों के लिए गुरुवार का दिन अहम साबित हो सकता है। जेसिका लाल हत्याकांड, नैना साहनी की हत्याकांड और प्रियदर्शिनी मट्टू के रेप और हत्या के मामले में सजा काट रहे दोषियों की किस्मत पर सजा समीक्षा बोर्ड कल अहम निर्णय सुना सकती है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, बृहस्पतिवार यानी 4 अक्टूबर को सजा समीक्षा बोर्ड (एसआरबी) की बैठक होनी है। इसलिए उम्मीद जताई जा रही है कि इस बैठक में संतोष सिंह (प्रियदर्शिनी मट्टू हत्याकांड), मनु शर्मा (जेसिका लाल हत्याकांड) और सुशील शर्मा (नैना साहनी हत्याकांड) समेत लगभग 200 से ज्यादा कैदियों की सजा पर फैसला लिया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि इसी साल 24 जून को प्रियदर्शिनी मट्टू हत्याकांड के दोषी संतोष सिंह और जेसिका लाल हत्याकांड के दोषी मनु शर्मा की सजा को लेकर एसआरबी की बैठक हुई थी। इसमें बोर्ड ने इन दोनों नामों पर विचार के लिए अगली सुनवाई तक टाल दिया था।
जेसिका लाल हत्याकांड :
19 साल पहले वर्ष 1999 में दिल्ली के महरौली स्थित कुतुब कोलोनेड रेस्टोरेंट में शराब परोसने के लिए मना करने पर वरिष्ठ कांग्रेसी नेता विनोद शर्मा के बेटे मनु शर्मा ने जेसिका लाल नामक लड़की की गोली मारकर हत्या कर दी। उसके बाद मनु अपने दोस्तों के साथ फरार हो गया। मौके पर पहुंची पुलिस ने इस मामले में 101 गवाह बनाए जिसमें श्यान मुंशी मामले का शिकायती बना और उसी के बयान के आधार पर एफआईआर दर्ज हुई।
लेकिन सुनवाई के दौरान मुख्य गवाह श्यान मुंशी अपने बयान से मुकर गया। मामले की लंबी सुनवाई के दौरान मनु को जमानत मिल गई थी। मनु की ओर से हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने मनु शर्मा की ओर से पेश दलीलों को खारिज करते हुए हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। बाद में मनु की पुनर्विचार याचिका भी खारिज कर दी गई। लंबी सुनवाई के बाद मनु शर्मा को 20 जनवरी, 2006 को उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई, तब से वह जेल में सजा काट रहा है। इस घटना पर ‘नो वन किल्ड जेसिका’ नाम की बॉलीवुड फिल्म भी बन चुकी है।
प्रियदर्शनी मट्टू हत्याकांड :
प्रियदर्शनी मट्टू को उसके साथ ही पढ़ने वाले एक साथी संतोष कुमार सिंह ने मारा था। प्रियदर्शनी लंबे समय से उसके खिलाफ पुलिस में हरासमेंट, घूरने सहित कई मामले में शिकायत दर्ज करा चुकी थी लेकिन पुलिस ने उसकी शिकायत पर गौर नहीं किया। आखिरकार संतोष ने प्रियदर्शनी के साथ बलात्कार किया और वो अपने ही घर में ही मरी पाई गई।
प्रियदर्शनी को इंसाफ मिलने में दस साल लग गया। प्रियदर्शनी को इंसाफ दिलाने के लिए महिला संगठनों ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया और इस मामले में हाई कोर्ट ने सुओ-मोटो लिया। और मामले को फास्ट ट्रैक कोर्ट को सौंपा गया। 30 अक्टूबर 2006 को दो जजों की बेंच ने आरोपी को हैंग टिल डेथ की सजा सुनाई जिसे बाद में आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील कर 2010 में आजीवन कारावास की सजा में बदलवाया।
नैना साहनी हत्याकांड (तंदूर कांड) :
क्रूरता की हदें पार करने वाले इस वाकये को तंदूर हत्याकांड के नाम से जानते हैं। कहानी 22 साल पहले की है। तत्कालीन दिल्ली युवक कांग्रेस के अध्यक्ष व विधायक सुशील शर्मा ने निर्दयता से अपनी पायलट पत्नी नैना साहनी की हत्याकर लाश ठिकाने लगा दी थी। वो तो भला हो कूड़ा बीनने वाली उस वृद्ध महिला का जिसने आधी रात को अशोक यात्री निवास से धुआं निकलता देखा और सजगता दिखाई। ये वही यात्री निवास था जिसका मालिक सुशील था।
आरोप है कि सुशील को शक था कि उसकी पत्नी का किसी और के साथ संबंध है। इसी वजह से उसने आधी रात को अपने ही घर में गोली मारकर हत्या की दी और उसके शव को कई टुकड़ों में काट दिया। शव को छिपाने के लिए शर्मा ने उसी रात दिल्ली के बगिया रेस्टोरेंट के तंदूर में डाल दिया था। लंबी जद्दोजहद के बाद उसे फांसी की सजा सुनाई गई। बाद में उसे सुप्रीम कोर्ट ने उम्रकैद में बदल दी। सुशील अभी जेल में है।