मध्य प्रदेशराज्य

MP : प्रदेश में शिवराज शासन काल में बीजेपी को हुआ 37% सीटों का नुकसान,1.5 फीसदी वोट बैंक भी हुआ कम

भोपाल : मध्य प्रदेश में अगले साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं लेकिन उससे पहले ही राज्य में राजनीतिक हलचल काफी तेज हो चली है। राजनीतिक हलकों में इस बात की भी चर्चा है कि क्या बीजेपी राज्य में अपनी जीत सुनिश्चित कराने के लिए गुजरात फार्मूले का इस्तेमाल करेगी।

उस फार्मूले से हासिल गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजों ने भले ही भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को रोमांचित कर दिया है लेकिन मध्य प्रदेश में पार्टी विधायकों और नेताओं का बड़ा धड़ा पड़ोसी राज्य की सियासी रणनीति से आतंकित हो चला है क्योंकि गुजरात में चुनावों से सालभर पहले मुख्यमंत्री विजय रुपाणी समेत पूरे मंत्रिमंडल को बदल दिया गया था और कई मौजूदा विधायकों का भी टिकट काट दिया गया था।

राज्य में बीजेपी की सरकार वर्ष 2003 से (दिसंबर 1998 से मार्च 2020 छोड़कर) ही है और शिवराज सिंह चौहान 2005 से ही राज्य के मुख्यमंत्री हैं। लंबा शासन काल होने की वजह से सरकार के खिलाफ एंटी इनकमबेंसी फैक्टर भी हावी है। हालिया नगर निकाय चुनावों को देखें तो यह बात सही साबित होती है। नगरीय निकाय चुनाव में आधा दर्जन मंत्रियों के प्रभाव वाले जिलों में बीजेपी का प्रदर्शन खराब रहा है।

स्थानीय निकाय चुनावों में बीजेपी ने 814 में से 417 सीटों पर जीत दर्ज की है। पार्टी की आंतरिक सर्वे रिपोर्ट में भी दावा किया गया है कि कई मंत्रियों और विधायकों के इलाके में पार्टी का स्थिति बेहतर नहीं है। ऐसे में इन लोगों की उम्मीदवारी पर तलवार लटकने लगी है।

पिछले 15 वर्षों के चुनावी आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि 2003 से लेकर 2018 तक के विधानसभा चुनावों में बीजेपी का कुल करीब 37 फीसदी सीटों का नुकसान हुआ है। हालांकि, पार्टी को वोट शेयर में सिर्फ 1.5 फीसदी के करीब ही नुकसान उठाना पड़ा है।

2003 के विधान सभा चुनाव में बीजेपी को 230 सदस्यों वाली मध्य प्रदेश विधानसभा में 173 सीटें (42.50 फीसदी वोट शेयर) मिले थे जो 2008 में घटकर 143 सीटें (37.64 फीसदी वोट शेयर) रह गए। हालांकि, 2013 के चुनावों में जब शिवराज सरकार के आठ साल पूरे हुए तब बीजेपी ने कुल 165 सीटें जीतीं। इस साल बीजेपी को रिकॉर्ड 44.88 फीसदी वोट शेयर मिले लेकिन पांच साल बाद 2018 में बीजेपी 109 सीट (41.02 फीसदी वोट शेयर) ही जीत सकी और सत्ता गंवा दिया।

हालांकि, सवा साल में ही बीजेपी अपने सियासी दांव-पेंच और तिकड़म से राज्य की सत्ता में वापसी कर गई और शिवराज सिंह चौहान चौथी बार राज्य के मुख्यमंत्री बन गए। लेकिन 2003 से 2018 तक पार्टी को कुल 64 यानी 37 फीसदी सीटों का नुकसान उठाना पड़ा है।

Related Articles

Back to top button