केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम पर संसद में दी ताजी जानकारी
नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में बताया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रकाशित वैश्विक टीबी रिपोर्ट 2023 के अनुसार, भारत में दवा प्रतिरोधी टीबी की अनुमानित संख्या 2015 में 1.4 लाख से 21 प्रतिशत कम होकर 2022 में 1.1 लाख हो गई है। केंद्र सरकार ने आणविक निदान सुविधाओं की उपलब्धता बढ़ाई है और इस प्रकार दवा प्रतिरोध की उपस्थिति के लिए जांच किए जाने वाले टीबी रोगियों के अनुपात में वृद्धि हुई है।
दवा प्रतिरोधी टीबी के शीघ्र निदान और उपचार के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम इस प्रकार हैं:
1) देश के सभी जिलों को कवर करने के लिए आणविक निदान की उपलब्धता 6196 न्यूक्लिक एसिड एम्प्लीफिकेशन टेस्ट (एनएएटी) मशीनों तक बढ़ा दी गई है। इसके अलावा, बहु औषधि प्रतिरोध के निदान के लिए 91 लाइन जांच और 69 लिक्विड कल्चर परीक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं।
2) यूनिवर्सल ड्रग ससेप्टिबिलिटी टेस्टिंग (यूडीएसटी) को यह सुनिश्चित करने के लिए लागू किया गया है कि निदान के समय दवा प्रतिरोध का पता लगाने के लिए प्रत्येक निदान किए गए टीबी रोगी का परीक्षण किया जाए।
3) दवा प्रतिरोधी टीबी के प्रबंधन के लिए बेडाक्विलिन और डेलामेनिड जैसी नई दवाएं पेश की गई हैं।
4) देश भर में 792 डीआर-टीबी केंद्रों के माध्यम से विकेंद्रीकृत डीआर-टीबी उपचार सेवाएं प्रदान की जाती हैं।
राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के तहत पूरे वर्ष केंद्रीय स्तर से सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को टीबी रोधी दवाओं की नियमित आपूर्ति होती रही है ।