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व्हाट्सऐप को लेकर सरकारी नियम बनाए जाने की मांग सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए मंज़ूर

व्हाट्सऐप को लेकर सरकारी नियम बनाए जाने की मांग सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए मंज़ूर कर ली है. याचिका में व्हाट्सऐप की तरफ से अपनी सहयोगी फेसबुक से उपभोक्ताओं की जानकारी शेयर करने का विरोध किया गया है. याचिकाकर्ता ने इसे निजता के अधिकार का हनन बताया है.2016 में लागू नयी प्राइवेसी पॉलिसी के तहत व्हाट्सऐप फेसबुक के साथ कंज़्युमर डेटा शेयर करता है. याचिकाकर्ता का कहना था कि इससे न सिर्फ उपभोक्ता का ब्यौरा, बल्कि उसकी निजी बातचीत भी गलत हाथों में जा सकती है.

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सुनवाई की शुरुआत में चीफ जस्टिस जे एस खेहर और डी वाई चंद्रचूड़ की बेंच याचिका पर सहमत नज़र नहीं आयी. जस्टिस खेहर ने कहा, “ये एक निजी सेवा है. इसके अपने नियम हैं. जिसे पसंद है, इस्तेमाल करे. न पसंद हो तो छोड़ दे.”
बेंच ने कहा, “टेलीकॉम सेवा के लिए उपभोक्ता पैसे देता है. लेकिन ये मैसेजिंग सर्विस मुफ्त है. क्या मुफ्त की चीज़ का इस्तेमाल करते हुए कोई निजता के अधिकार का दावा कर सकता है?” याचिकाकर्ता की तरफ से पेश वकील हरीश साल्वे लगभग 20 मिनट तक कोर्ट के सामने दलीलें रखते रहे. उन्होंने ऑनलाइन मैसेजिंग सेवाओं के लिए सरकारी नियम को ज़रूरी बताया.

आख़िरकार, बेंच ने इस मामले में केंद्र सरकार, ट्राई, व्हाट्सऐप और फेसबुक को नोटिस जारी कर जवाब मांग लिया. बेंच ने एटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी से भी मसले पर अदालत की मदद करने को कहा. वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे के प्रति सम्मान जताते हुए कोर्ट ने कहा, “हम इस शर्त पर नोटिस जारी कर रहे हैं कि अगली सुनवाई में भी आप ही याचिकाकर्ता की तरफ से पेश होंगे. और ध्यान रहे ये सुनवाई गर्मियों की छुट्टी के पहले सप्ताह में होगी.”

साल्वे ने मुस्कुराते हुए तब उपलब्ध रहने का वादा किया. जस्टिस खेहर ने कहा कि हम चाहते हैं कि छुट्टियों में 3-4 बड़े मसलों पर विस्तार से सुनवाई की जाए. इनके लिए विशेष बेंच का गठन किया जाएगा.

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