उत्तर प्रदेशटॉप न्यूज़फीचर्डब्रेकिंगराज्यलखनऊ

मुख्यमंत्री योगी ने लाला लाजपत राय को जयंती पर दी श्रद्धांजलि

लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित प्रदेश के अन्य नेताओं ने स्वतंत्रता संग्राम के महानायक लाला लाजपत राय को उनकी जयंती पर नमन करते हुए श्रद्धांजलि दी है।
मुख्यमंत्री ने गुरुवार को कहा कि महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, स्वदेशी व स्वराज के प्रबल समर्थक, मां भारती के अमर सपूत, ’पंजाब केसरी’ लाला लाजपत राय जी को उनकी जयंती पर विनम्र श्रद्धांजलि। उन्होंने कहा कि स्वाधीनता आन्दोलन में लाला लाजपत राय के अविस्मरणीय संघर्ष व बलिदान के लिए यह राष्ट्र उनका सदैव ऋणी रहेगा।

उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित

स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रांतिकारी ’पंजाब केसरी’ लाला लाजपत राय जी की जयंती पर कोटिशः नमन। देश की आज़ादी के लिए उनका त्याग व बलिदान देशवासियों को सदैव राष्ट्रहित में कार्य करने की प्रेरणा देता है।

उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य

मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी ब्रिटिश साम्राज्य के ताबूत में एक-एक कील का काम करेगी।’ अपने प्राणों की आहुति देकर सम्पूर्ण भारत में राष्ट्रवाद की भावना को जागृत कर स्वतंत्रता की अलख जगाने वाले “पंजाब केसरी“ लाला लाजपत राय जी की जयंती पर उन्हें शत्-शत् नमन। उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि आजादी के आंदोलन में अपने प्राणों की आहुति देने वाले पंजाब केसरी लाला लाजपत राय की जयंती पर शत्-शत् नमन।

प्रदेश सरकार के अन्य मंत्रियों व नेताओं ने भी लाला लाजपत राय को जयंति पर नमन किया। कैबिनेट मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने कहा कि स्वतन्त्रता के यज्ञ में अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले प्रखर राष्ट्रवादी, महान स्वतन्त्रता सेनानी ’पंजाब केसरी’ लालालाजपत राय जी को जयंती पर कृतज्ञ नमन। मंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि मां भारती की स्वतंत्रता के लिए अंग्रेजों की लाठियां खाकर अपने प्राणों की आहुति देने वाले प्रखर राष्ट्रवादी स्वतंत्रता सेनाना ‘पंजाब-केसरी’ लाला-लाजपत-राय जी की जयंती पर नमन। मंत्री भूपेन्द्र सिंह चौधरी ने भी पंजाब केसरी को अपनी ओर से श्रद्धांजलि दी।

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यावद

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के वीर सेनानी ‘पंजाब केसरी’ लालालाजपत राय जी की जन्म जयंती पर विनम्र श्रद्धांजलि व नमन। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने ट्वीट किया कि गरम दल के प्रमुख नेता, आजीवन ब्रिटिश राजशक्ति का सामना करने वाले “पंजाब केसरी” लाला लाजपत राय की जयंती पर शत-शत नमन।

अंग्रेजों के फैसले की जमकर मुखालफत की

आजादी की लड़ाई के वीर सेनानी लाला लाजपत राय का जन्म 28 जनवरी 1865 को पंजाब के फिरोजपुर जिले के धूदिकी गांव में हुआ था। उन्होंने स्वतंत्रा आन्दोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया। अंग्रेजों ने जब 1905 में बंगाल का विभाजन कर दिया तो लाला जी ने सुरेन्द्रनाथ बनर्जी और विपिनचन्द्र पाल जैसे आंदोलनकारियों के साथ मिलकर अंग्रेजों के इस फैसले की जमकर मुखालफत की। उन्होंने देशभर में स्वदेशी वस्तुएं अपनाने के लिए अभियान चलाया।

लालाजी आजादी के लिए लगातार संघर्ष करते रहे

03 मई 1907 को ब्रितानिया हुकूमत ने उन्हें रावलपिंडी में गिरफ्तार कर लिया। रिहा होने के बाद भी लालाजी आजादी के लिए लगातार संघर्ष करते रहे। लालाजी ने अमेरिका पहुंचकर वहां के न्यूयॉर्क शहर में अक्टूबर 1917 में इंडियन होम रूल लीग ऑफ अमेरिका नाम से एक संगठन की स्थापना की। वह विदेशी धरती में रहकर भी अपने देश और देशवासियों के उत्थान के लिए काम करते रहे। 20 फरवरी 1920 को जब वे भारत लौटे तो उस समय तक वे देशवासियों के लिए एक नायक बन चुके थे।

पंजाब केसरी जैसे नामों से पुकारे जाने लगे

लालाजी ने 1920 में कलकत्ता में कांग्रेस के एक विशेष सत्र में भाग लिया। वे महात्मा गांधी द्वारा अंग्रेजों के खिलाफ शुरू किए गए असहयोग आन्दोलन में कूद पड़े, जो सैद्धांतिक तौर पर रौलेट एक्ट के विरोध में चलाया जा रहा था। लाला लाजपत राय के नेतृत्व में यह आन्दोलन पंजाब में जंगल में आग की तरह फैल गया और जल्द ही वे ’पंजाब का शेर’ या ’पंजाब केसरी’ जैसे नामों से पुकारे जाने लगे।

पुलिस ने निर्ममता से लाठियां बरसाईं

लालाजी ने अपना सर्वोच्च बलिदान साइमन कमीशन के समय दिया। 03 फरवरी 1928 को कमीशन भारत पहुंचा जिसके विरोध में पूरे देश में आग भड़क उठी। लाहौर में 30 अक्टूबर 1928 को एक बड़ी घटना घटी, जब लाला लाजपत राय के नेतृत्व में साइमन का विरोध कर रहे युवाओं को बेरहमी से पीटा गया। पुलिस ने लाला लाजपत राय की छाती पर निर्ममता से लाठियां बरसाईं। वे बुरी तरह घायल हो गए और अंततः इस कारण 17 नवम्बर, 1928 को उनकी मौत हो गई।

लालाजी की मौत से आक्रोशित चन्द्रशेखर आजाद, भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव व अन्य क्रांतिकारियों ने इसका बदला लेने का प्रण लिया। इन देशभक्तों ने लालाजी की मौत के ठीक एक महीने बाद 17 दिसम्बर 1928 को ब्रिटिश पुलिस अफसर सांडर्स को गोली से उड़ा दिया। लालाजी की मौत के बदले सांडर्स की हत्या के मामले में ही राजगुरु, सुखदेव और भगतसिंह को फांसी की सजा सुनाई गई। लाला लाजपत राय एक महान समाज सुधारक और समाजसेवी भी थे। यही वजह थी कि उनके लिए जितना सम्मान गांधीवादियों के दिल में था, उतना ही सम्मान क्रांतिकारी भी उनका करते थे।

[divider][/divider][divider][/divider]

  1. देशदुनियाकीताजातरीनसच्ची और अच्छी खबरों को जानने के लिए बनें रहेंorg  के साथ।
  2. फेसबुकपरफॉलोंकरनेके लिए : https://www.facebook.com/dastak.times.9
  3. ट्विटरपरपरफॉलोंकरनेके लिए : https://twitter.com/TimesDastak
  4. साथहीदेशऔरप्रदेश की बड़ी और चुनिंदा खबरों के ‘न्यूज़वीडियो’ आप देख सकते हैं।
  5. youtube चैनलकेलिएhttps://www.youtube.com/c/DastakTimes/videos


ये भी पढें  : पिछले 24 घंटे में कोरोना के 11,666 नए मामले, 123 लोगों की मौत – Dastak Times 

[divider][/divider][divider][/divider]

Related Articles

Back to top button