बाल आयोग की पहल: एक दिन बिना बैग के स्कूल बुलाएं
भोपाल : राजधानी के सीबीएसई स्कूलों के बच्चे बस्ते के बोझ से दबते जा रहे हैं। हालांकि 2020 में सीबीएसई ने बस्ते के बोझ को कम करने के लिए एक गाइडलाइन जारी की थी। इसमें उम्र के हिसाब से बच्चों के लिए बैग का वजन तय किया गया था, लेकिन निजी स्कूलों की मनमानी के कारण बच्चे अभी भी भारी बस्ते लेकर स्कूल आ रहे हैं। गाइडलाइन के तहत सीबीएसई स्कूलों में बस्ते का बोझ खत्म करने के लिए लॉकर बनाने के निर्देश भी दिए गए थे, लेकिन बहुत कम स्कूलों में लॉकर बना हुआ है।
ये कह सकते हैं कि 70 प्रतिशत निजी स्कूल सीबीएसई की गाइडलाइन का पालन नहीं कर रहे हैं। इस संबंध में लोक शिक्षण संचालनालय (डीपीआई) ने 23 जून को आदेश जारी कर सीबीएसई स्कूलों में एनसीईआरटी के किताबें लागू करने के निर्देश दिए हैं। हालांकि विभाग ने पहले भी निर्देश जारी किए थे, लेकिन पालन नहीं हो रहा है।
बैग बच्चे के वजन से 10% होना चाहिए
दिसंबर 2020 में शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी नई स्कूल बैग नीति 2020 में कहा गया है कि पहली से 10वीं तक के बच्चों के स्कूल बैग का भार उनके शरीर के वजन के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। भोपाल सहित प्रदेश भर में बच्चे तय मानक से तीन से 5 गुना तक ज्यादा वजन उठा रहे हैं।
8 से 10 किताबें लाने को मजबूर बच्चे
एनसीईआरटी ने भी सुझाव दिया था कि पहली या दूसरी कक्षा में एक दिन में तीन विषय की ही पढ़ाई हो। तीसरी से पांचवीं तक एक दिन में चार विषय और छठवीं से दसवीं तक एक दिन में छह किताबें पढ़ाई जानी चाहिए, जबकि सीबीएसई स्कूलों में निजी प्रकाशकों की किताबें भी चलाई जा रही है। ऐसे में बच्चों को हर दिन आठ से दस किताबें लेकर स्कूल जाना पड़ रहा है।
यह हैं दिशा-निर्देश
नई शिक्षा नीति के तहत प्रकाशकों को किताबों के पीछे उसका वजन भी छापना होगा।
पहली कक्षा में कुल तीन किताबें होंगी, जिनका वजन 1,078 ग्राम तक होगा।
12वीं में छह किताबें होगी, जिनका वजन 4,182 ग्राम तक ही होगा।