उत्तरकाशी की नेलांग घाटी में दो सड़कें बनाने का महत्वपूर्ण निर्णय सीएम धामी सरकार ने लिया है ।वाइल्ड लाइफ क्लियरेंस न मिल पाने के कारण 2020 से लटका इन सड़कों का निर्माण कार्य अटका हुआ था। लेकिन अब धामी सरकार की सीमा सुरक्षा की प्रतिबद्धता को देखते हुए नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड मीटिंग में दोनों सड़कों के निर्माण को अति शीघ्र पूर्ण करने को मंजूरी दे दी गई है।
इसमें एक सड़क नेलांग वैली के पास भारत चीन सीमा पर सुमला से थांगला तक बनेगी जो 11 किलोमीटर लंबी होगी और साथ ही
मंडी से सांगचौखला तक 17 किमी लंबी सड़क बनेगी। इस तरह चीन से लगी अंतर्राष्ट्रीय सीमा तक सड़क सुविधा देने का कार्य सरकार करेगी।
गौरतलब है कि उत्तराखंड चीन के साथ 350 और नेपाल के साथ 275 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है। उत्तराखंड के कुल 13 जिलों में से 5 जिले बॉर्डर डिस्ट्रिक्ट के रूप में अथवा सीमा जिलों के रूप में हैं। जहां चमोली और उत्तरकाशी चीन के साथ सीमा साझा करते हैं वहीं उधमसिंह नगर और चंपावत नेपाल के साथ सीमा साझा करते हैं। वहीं पर पिथौरागढ़ अधिक संवेदनशील रूप में चीन और नेपाल दोनों के साथ सीमा साझा करता है। ऐसे में इन देशों के साथ सीमा साझा करने वाले जिलो में स्थित घाटियों व अन्य ऐसे प्रमुख क्षेत्रों जहां पर इनर लाइन परमिट का प्रावधान किया गया है, उसके क्रियान्वयन पर तार्किक निर्णय किया जाना जरूरी है।
पिछले वर्ष उत्तराखंड सरकार ने सुदूर सीमावर्ती जिलों में मोबाइल टॉवर्स को लगाने के लिए सब्सिडी देने का प्रावधान किया था ताकि सीमा क्षेत्रों में संचार तंत्र को मजबूती देते हुए सुरक्षा व्यवस्था को सही दिशा दी जा सके।
दरअसल नेलांग घाटी एक इनर लाइन क्षेत्र है जो भारत चीन सीमा पर स्थित है। यह केवल दिन के समय घरेलू पर्यटकों के लिए खुला रहता है। उत्तरकाशी मुख्यालय से यह लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।इस घाटी में नेलांग और जडोंग दो गांव हैं जो 1962 के भारत चीन युद्ध के बाद निर्जन हो गए थे क्योंकि युद्ध के समय लोग इन गांवों से पलायन कर डुंडा और उत्तरकाशी तहसीलों में आ गए थे। आईटीबीपी और सेना को वहां तैनात किया गया। चीन सीमा जड़ोंग गांव से 60 किलोमीटर की दूरी पर है। ऐसे में विदेशी पर्यटकों के लिए इस क्षेत्र में जाना वर्जित है जबकि घरेलू पर्यटक आईएलपी लेकर जा सकते तो सकते है लेकिन इनकी अधिकतम सीमा 24 लोगों की ही होनी चाहिए और रात्रि में वहां रह भी नही सकते यात्रियों को दिन में ही वापस लौटने का प्रावधान किया गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का प्रयास हैं कि आईएलपी नियमों में ढील दी जाए क्योंकि वे जानते हैं ऐसे निर्णय से यहां पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी और स्थानीय लोगों के लिए आजीविका के अवसर उपलब्ध होंगे और साथ ही पलायन भी रुकेगा।
इस तरह भारत चीन सीमा पर उत्तराखंड सरकार सीमा प्रबंधन और सामरिक और व्यापारिक सड़क निर्माण के जरिये बड़े हितों को पूरा कर देश की सुरक्षा के साथ ही राज्य के पर्यटन और विकास की योजना को मूर्त रूप देना चाहती हैं।
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