गुरुबाणी कीर्तन कर्तव्यों का एहसास कराने की देता है नई प्रेरणा: योगी आदित्यनाथ
लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सरकारी आवास पर यहां रविवार को साहिबजादा दिवस मनाया गया। मुख्यमंत्री ने गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज जी के चार साहिबजादों एवं माता गुजरी जी की शहादत को समर्पित ‘साहिबजादा दिवस’ के अवसर पर गुरुबाणी कीर्तन में प्रतिभाग किया। कार्यक्रम में सरकार के कई मंत्री और सिख पंथी शामिल हुए।
बोले सीएम योगी
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि आज मातृभूमि, देश और धर्म के लिए अपनी शहादत देने वाले गुरु पुत्रों एवं गुरु माता के प्रति नमन करने, श्रद्धा एवं कृतज्ञता ज्ञापित करने का दिवस है। ‘साहिबजादा दिवस’ पर मैं सिख समाज एवं प्रदेशवासियों को इस गौरव की अनुभूति करने वाले दिवस पर हृदय से बधाई देता हूं और अभिनंदन करता हूं। उन्होंने कहा कि गुरुबाणी कीर्तन हम सबको देश और धर्म के प्रति अपने कर्तव्यों का एहसास कराने की एक नई प्रेरणा देता है। आज एक नया इतिहास यहां पर बन रहा है। हम सब गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज के चारों पुत्रों और माता गुजरी जी की शहादत के प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरुबाणी कीर्तन के साथ हम सबका जुड़ना इस इतिहास को आगे बढ़ा रहा है। हम सबको एक बात का हमेशा स्मरण रखना होगा कि इतिहास को विस्मृत कर के कोई भी व्यक्ति, जाति या कौम कभी आगे नहीं बढ़ सकती है।
सीख लेने की दी शिक्षा
उन्होंने कहा कि इतिहास हम सबको इस बात का एहसास कराता है कि गौरवशाली पलों से प्रेरणा लेकर उसके अनुरूप आगे बढ़ें और उन पलों से सबक सीखें। कुछ गलतियों के कारण गुरु पुत्रों को विधर्मियों के हाथों जिस क्रूरता का सामना करना पड़ा, वैसी स्थिति आने वाले समय में किसी के साथ न हो, यह दिवस सदैव हम सबको एक नई प्रेरणा प्रदान करता है।
विदेशी आक्रांताओं ने भारत को रौंदा
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब सिख इतिहास को हम पढ़ते हैं तो भारत के इतिहास का वह कालखंड जब विदेशी आक्रांताओं ने भारत को रौंदा, भारत की धर्म संस्कृति को नष्ट करने को अपना एकमात्र लक्ष्य बना दिया था तब भक्ति के माध्यम से गुरु नानक देव जी ने जो अभियान प्रारंभ किया था, कीर्तन उसका आधार बना था।
गुरु नानक देव जी ने आगे बढ़ाया
उन्होंने कहा कि उस समय सत्संग के माध्यम से जो कार्य गुरु नानक देव जी ने आगे बढ़ाया, देखते ही देखते भक्ति की क्या शक्ति होती है, वह देखने को मिली। आने वाली पीढ़ियां एक-एक करके उस दिशा में आगे बढ़ीं और गुरु गोविंद सिंह जी महाराज तक पहुंचते-पहुंचते भक्ति और शक्ति का एक ऐसा कुंज बना जो पूरी मानवता के कल्याण का मार्ग भी प्रशस्त करता है।
गुरु तेग बहादुर ने कश्मीरी पंडितों की रक्षा करने की प्रेरणा दी
मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह जी महाराज ने मात्र नौ वर्ष की उम्र में अपने पिता गुरु तेग बहादुर जी महाराज को कश्मीरी पंडितों की रक्षा करने के लिए अपना बलिदान के लिए प्रेरित किया। दिल्ली आज भी हमारे सामने हैं, जहां गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान हुआ था। गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान उस कालखंड में कश्मीर में हिंदुओं की रक्षा करने में सहायक बना।
गुरु तेग बहादुर महाराज जी ने बलिदान दिया
उन्होंने कहा कि सामने कौन सी ताकत है, इस भौतिक ताकत को पूरी तरह नजरअंदाज करते हुए अपनी आध्यात्मिक ताकत का एहसास कराने के लिए गुरु तेग बहादुर महाराज जी ने अपना बलिदान दिया। उनके बाद गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना के पीछे का उद्देश्य स्पष्ट कर दिया। गुरु गोविंद सिंह महाराज जी ने बहुत स्पष्ट कहा कि ‘सकल जगत में खालसा पंथ गाजे, जगे धर्म हिन्दू तुरक धुंध भाजे।’ उन्होंने इतनी स्पष्टता के साथ पूरी दुनिया के लिए एक संदेश दिया और यही कारण है कि ये पर्व केवल सिख परम्परा के पर्व नहीं, भारत के पर्व हैं, क्योंकि यह भारत को बचाने का बलिदान है
गुरु ग्रंथ साहब जी की सवारी का हुआ स्वागत
इससे पहले मुख्यमंत्री आवास पर पहुंची गुरु ग्रंथ साहब जी की सवारी का अपर मुख्य सचिव सूचना नवनीत सहगल ने स्वागत किया। साहिबजादा दिवस, कुर्बानी की मिसाल बने सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह जी के चार साहिबजादों अजीत सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह और फतेह सिंह और माता गुजरी जी की शहादत को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है। साहिबजादा दिवस पहली बार मुख्यमंत्री आवास पर मनाया गया।
गुरुबाणी कीर्तन व लंगर का हुआ आयोजन
इससे पहले गुरुनानक देव के 550वें प्रकाशोत्सव पर मुख्यमंत्री आवास पर गुरुबाणी कीर्तन व लंगर का आयोजन किया गया था। इसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत प्रदेश के कई कैबिनेट मंत्री मौजूद रहे थे। गुरुनानक देव के प्रकाशोत्सव पर पहली बार मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित हुए लंगर व कीर्तन में सिख समुदाय के 200 से 250 लोगों ने लंगर व प्रसाद ग्रहण किया था।
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