मुआवजे पर अब तक नहीं बनी सहमति, हाई पावर कमेटी की मीटिंग आज; हो सकते हैं ये खास निर्णय
नई दिल्ली : जोशीमठ के आपदा प्रभावित लोगों के विस्थापन, पुनर्वास और मुआवजे के लिए हाई पावर कमेटी पर मानक और जनभावनाओं के बीच का रास्ता निकालने की चुनौती है। सोमवार को होने जा रही कमेटी की बहुप्रतिक्षित बैठक में जिला प्रशासन द्वारा दिए गए सुझाव और स्थानीय लोगों की अपेक्षाओं पर मंथन करते हुए सर्वमान्य समाधान निकाला जाएगा। इस रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार केंद्र सरकार से आर्थिक पैकेज की मांग भी करेगी।
विस्थापन और पुनर्वास मुआवजे के लिए इस वक्त सरकारी और प्रभावितों के स्तर पर फिलहाल कई मुददों पर एक राय नहीं है। प्रभावित बदरीनाथ मास्टर प्लॉन के तहत अधिग्रहित भूमि के अनुसार मुआवजे की मांग कर रहे हैं। जबकि अधिकारी इससे सहमत नहीं है। उनका कहना है बदरीनाथ मास्टर प्लॉन में सरकार ने अपनी जरूरत के लिए भूमि ली थी। इसके लिए उसकी दरें सामान्य से अधिक रखी गईं। लेकिन ताजा मामला आपदा से जुड़ा है।
इसमें सरकार प्रभावितों की सहायता कर रही है। प्रशासन स्तर से मिले सुझावों पर सोमवार को अपर मुख्य सचिव वित्त आनंद बर्द्धन की अध्यक्षता वाली हाईपावर कमेटी सभी पहलुओं पर मंथन करते हुए बीच का रास्ता निकालेगी। कमेटी अपने सुझाव को सरकार को सौंपेंगी। इन सुझावों पर अंतिम निर्णय कैबिनेट बैठक में होगा।
होटल मलारी इन और माउंट व्यू को तोड़ने का काम रविवार को भी जारी रहा। भू-धंसाव की चपेट में आने के बाद ये दोनों होटल झुकने लगे थे। सीबीआरआई की टीम ने दोनों होटलों को तोड़ने के निर्देश जारी कर दिए थे। दोनों होटलों को तोड़ने की कार्रवाई 12 जनवरी की देर शाम से शुरू हो गई थी, जो जारी है। एसडीआरएफ के सूत्रों की मानें तो इन दोनों होटलों को टूटने में अभी 10 दिन का और समय लग सकता है। जोशीमठ में भू-धंसाव की जद में आये अन्य चार होटल स्नो केरस्ट और कामेट जो रोपवे सड़क मार्ग में स्थित हैं, वह भी तिरछे होने लगे थे। वहीं थाना जोशीमठ के निकट स्थित होटल नेचर इन रिट्रीट और ज्योति लाज में भू-धंसाव के कारण इनकी दूरी बढ़ने लगी हैं।
जोशीमठ के मनोहरबाग में कपरवाण परिवार का एक 50 वर्ष से अधिक पुराना आवासीय भवन और जोशीमठ के टीनाग में पूर्व पालिकाध्यक्ष माधवी सती के भवन को खतरनाक मानते हुए प्रशासन ने तोड़ दिया है, लेकिन इन दोनों भवन स्वामियों को अभी तक कोई मुआवजा नहीं मिल पाया है। पूर्व पालिकाध्यक्ष माधवी सती कहती हैं कि उनके भवन में भारी दरारें आ गई थी, इस लिए प्रशासन को सहयोग करते हुए उन्होंने अपने आशियाने को तोड़ने की हामी भर दी। लेकिन उन्हें क्या मुआवजा मिलने वाला है इसका पता नहीं है। कहा कि प्रशासन की चुप्पी चिंताजनक है।