देहरादून ( दस्तक ब्यूरो) : उत्तराखंड में लगातार हो रही भारी बारिश के चलते आम जन जीवन काफी प्रभावित हो रहा है। गाेविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विवि के मौसम विज्ञानियों ने इस संबंध में कहा है कि तराई में ला नीना का प्रभाव चरम पर है। इसलिए इस बार ज्यादा बारिश हो रही है। ला नीना एक मौसमी परिघटना है जो अतिवृष्टि के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करती है। एलनीनो फैक्टर के सूखे को बढ़ावा देने के विपरीत ला नीना फैक्टर अधिक बारिश कराने के लिए जिम्मेदार माना जाता है और इन दोनों की वजह जलवायु परिवर्तन है। पहाड़ के साथ ही तराई-भाबर में ला नीना का प्रभाव चरम पर होने से इस बार सामान्य से 15 से 20 प्रतिशत अधिक बारिश होने की संभावना व्यक्त की गई थी । जून को छोड़ दिया जाए तो जुलाई से अभी तक औसत सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई है।
ला नीना क्या है : यह प्रशांत महासागर में होने वाला एक मौसम पैटर्न है। ऐसी घटना जिमसें तेज हवाएं समुद्र की सतह पर गर्म पानी उड़ाती है। ला नीना के कारण भारत में मानसून पर असर पड़ता है। आमतौर ज्यादा बारिश होती है।
अल नीनो किसे कहते है : ऊष्ण कटिबंधीय प्रशांत के भूमध्यीय क्षेत्र में समुद्र का तापमान और वायुमंडलीय परिस्थितियों में आये बदलाव के लिए जिम्मेदार समुद्री घटना को अल नीनो कहते हैं। इस बदलाव के कारण समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से बहुत अधिक हो जाता है। ये तापमान सामान्य से 4 से 5 डिग्री सेल्सियस अधिक हो सकता है।अल नीनो का मौसम पर असरअल नीनो जलवायु प्रणाली का एक हिस्सा है। यह मौसम पर बहुत गहरा असर डालता है। इसके आने से दुनियाभर के मौसम पर प्रभाव दिखता है और बारिश, ठंड, गर्मी सबमें अंतर दिखाई देता है। राहत की बात ये है कि ये दोनों ही हालात हर साल नहीं, बल्कि 3 से 7 साल में दिखते हैं।
अल नीनो के दौरान, मध्य और पूर्वी भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में सतह का पानी असामान्य रूप से गर्म होता है। पूर्व से पश्चिम की ओर बहने वाली हवाएं कमजोर पड़ती हैं और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में रहने वाली गर्म सतह वाला पानी भूमध्य रेखा के साथ पूर्व की ओर बढ़ने लगता है।