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ग्रहों की बदलती चाल से कोरोना महामारी हुई प्रबल: एस्ट्रो ऋचा श्रीवास्तव

एस्ट्रो ऋचा श्रीवास्तव

भावना शुक्ला: 21वीं सदी विज्ञान की सदी मानी जाती है पर ज्योतिष और अध्यात्म की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।आज पूरे विश्व में फैली कोरोना महामारी के प्रति दुनिया भर में कोहराम मचा है।पूरी दुनिया के साइंटिस्ट और डॉक्टर इलाज खोजने में लगे हुए है।सबकी उम्मीद यही है कि जल्दी से क़ामयाबी मिल जाए।एक जोतिषाचार्य की माने तो ग्रहों की बदलती चाल से कोरोना महामारी इतनी प्रबल हुई है।इस बीमारी का टीका या वैक्सीन चिकित्सकों द्वारा जून के अंत तक खोजने की बात भी उन्होंने बतायी है।

कोरोना (कोविड 19) एक बड़ी जानलेवा महामारी है।समूचा विश्व इसकी चपेट में है और हमारे देश में भी हाहाकार मचा हुआ है।कोरोना(कोविड19) जैसी महामारी क्यों फैली? इसके उत्तपन्न होने के पीछे कौन सी ग्रह परिस्थियाँ थीं?इस विषय पर मध्यप्रदेश के बालाघाट निवासी जोतिष केसरी, जोतिष सागर, ज्योतिष शिरोमणि सहित तमाम उपाधियां प्राप्त गोल्ड मेडलिस्ट जोतिषाचार्य ऋचा श्रीवास्तव बताती है कि पिछले वर्ष मई से ही पूरा विश्व कालसर्प योग के चपेट में था। पूरे विश्व में आगजनी, दंगे, जंगलों में आग, अतिवृष्टि , युद्ध की संभावनाएं, आर्थिक अवसाद जैसे हालात रहे। 

सभी सात मुख्य ग्रहों का राहु-केतु के बीच में गोचर करने पर कालसर्प योग का निर्माण होता है। हालांकि बीच बीच में चंद्रमा और मंगल एवं शुक्र द्वारा इस योग को भंग भी किया जाता रहा, और परिस्थितियों में सुधार भी आया।मगर फिर भी विशेष शुभ परिणाम प्राप्त नहीं हुए। दुर्भाग्यवश अभी तो पूर्ण कालसर्प योग के हालात चल रहे, जो 7 अप्रैल को चंद्रमा द्वारा आंशिक रूप से भंग किया गया है।तब भी राहु केतु बलवान होकर देश में कोरोना के मामलों में वृद्धि करेंगे।वह बताती है कि 22 अप्रैल तक राहु अपने ही नक्षत्र आद्रा में और अपनी उच्च राशि मिथुन में भ्रमण कर रहे जोकि, उसे बेहद बलवान बना रहे है।


बताते चलें कि राहु और केतु समस्त वायरस, विष और रोगाणुओं, महामारियों और दुर्घटनाओं के कारक ग्रह हैं। इसलिए कोरोना जैसी महामारी के मामले सामने आए।हालांकि इस आपदा को पैदा करने और विस्तार देने में  26 दिसम्बर को हुए पंच -ग्रही सूर्यग्रहण का सबसे बड़ा योगदान है। तब दुनियाँ के अनेक भविष्य वक्ताओं ने तबाही की भविष्यवाणी की थी जो ग्रहों कि डिग्री बढ़ने के साथ-साथ पूर्णतः सत्य हुई।खैर अब सवाल ये उठता है कि देश में कोरोना के कहर पे नियंत्रण कब होगा ?

इस पर  ज्योतिर्विद ऋचा श्रीवास्तव बताती है कि 22 मार्च को मंगल अपनी उच्च राशि मकर में प्रवेश कर गया है। जहां रोगों के नाशक और आयुष्य वर्धक ग्रह बृहस्पति भी केतु की जकड़न से मुक्त होकर  30 मार्च को पहुंच गए हैं और नीच भंग राजयोग का निर्माण कर रहे मकर राशि में ही 24 जनवरी से मौजूद बलवान शनि देव को गुरुदेव बृहस्पति का साथ मिल रहा है।28 मार्च को शुक्र अपनी मूल त्रिकोण राशि वृष में पहुंच कर देश में मालव्य नामक राजयोग का निर्माण कर चुके हैं, क्योंकि भारत की लगन कुंडली वृष राशि की है। इसके अलावा सूर्य 14 अप्रैल को अपनी उच्च राशि मेष में प्रवेश कर चुके हैं और लगभग 10 दिन बाद 10 डिग्री पर परमोच्च होकर अपनी प्रखरता से राहु जनित विष या वायरस का नाश करना आरंभ करेंगे और ये सिलसिला लगभग 7 मई तक चलेगा। इसके साथ ही जैसे-जैसे शनि  और गुरु की डिग्री आगे बढ़ती जायगी, इस रोग पर काबू होता जायेगा।

लगभग 30 जून तक गुरु अपनी नीच राशि मकर में रहते हुए पहले मंगल फिर शनि जनित नीचभंग राजयोग द्वारा कोरोना पर काबू पा लेंगे और देश राहत की सांस लेगा।मगर मध्य जुलाई और सितंबर में गुरु वक्री होकर पुनः धनु राशि में संचरण कर केतु की जकड़न में आएंगे तो एक बार फिर से कोरोना के उभरने की आशंका रहेगी। फिर 20 सितंबर को राहु और केतु के राशि परिवर्तन के साथ कालसर्प योग समाप्त होगा, उसके साथ ही देश दुनिया को कोरोना के कहर से मुक्ति मिलनी प्रारंभ हो जाएगी।इसी बीच लगभग 30 जून के आसपास रसायन और भेषज (मेडिसीन साइंस) के कारक शुक्र और चंद्रमा कोरोना से लड़ने वाली दवाई या टीका का अविष्कार करवा देंगे। 

7 मई तक हाई अलर्ट रहने की जरूरत

एस्ट्रो ऋचा श्रीवास्तव बताती है कि 7 मई तक हाई अलर्ट रहने की जरूरत है।उसके बाद थोड़ी राहत की सांस मिलेगी। ध्यान रहे,, 21 जून को पुनः सूर्यग्रहण पड़ने वाला है। देश में पुनः कोरोना के साथ ही अन्य राजनीतिक या प्राकृतिक कारणों से विपरीत परिस्थितियों का निर्माण होने वाला है। जुलाई से सितंबर के मध्य तक हाई अलर्ट रहने की आवश्यकता रहेगी। इस वर्ष के अंत तक हमारा देश और 2021 के  शुरुआती महीनों में पश्चिमी देश कोरोना के ईलाज या टीका से युक्त होकर राहत की सांस लेंगे। 

राहु का है वर्ष 2020

एस्ट्रो ऋचा श्रीवास्तव कहती है कि 2020 राहु का वर्ष है।इसलिए ये पूरा वर्ष दुनियाँ भर के लिए अशुभ जाने वाला है। सभी देशों पर बड़ा आर्थिक संकट आएगा।उपाय के तौर पर अधिक से अधिक धर्म-कर्म,इष्ट देव की पूजा -पाठ इत्यादि करें। ईश्वर से समस्त विश्व की कुशलता की प्रार्थना करें। सामग्री उपलब्ध न हो तो, स्वच्छ होकर मानसिक पूजन करें।


दुर्गा सप्तशती के मंत्रों का करें जाप 

सर्व कल्याण हेतु दुर्गा सप्त शती के इन मंत्रों का निरन्तर जाप करें।

१- जयंती ,मंगला ,काली, भद्रकाली कपालिनी।

दुर्गा, क्षमा, शिवा, धात्री, स्वाहा, स्वधा, नमोस्तुते।।

 

2- सर्व मंगल मांगल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके।

शरण्येत्र्यंबके गौरी, नारायणि नमोस्तुते।।

 

3- रोगानशेषानपहंसि   तुष्टा,

रुष्टा तु कमान् सकलानभीष्टान्।

त्वामाश्रितांं न विपन्नराणां,

त्वामाश्रितांं हृयाश्रयतां प्रयान्ति।।

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