#MeToo के आरोपों से घिरे विदेश राज्य मंत्री अकबर को देना पड़ सकता है इस्तीफा
#MeToo के आरोपों से घिरे विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर को इस्तीफा देना पड़ सकता है. सूत्रों के मुताबिक, सरकार इस मामले में सख्त कदम उठा सकती है. वह व्यक्तिगत कारणों के हवाले से इस्तीफा दे सकते हैं. एमजे अकबर से विदेश लौटने के बाद इस्तीफा लिया जा सकता है. सूत्रों के मुताबिक अपना नाम साफ न होने तक अकबर भारतीय जनता पार्टी से भी इस्तीफा दे सकते हैं.
बता दें कि विपक्ष एमजे अकबर को लेकर सरकार पर हमलावर है. कांग्रेस ने एमजे अकबर से इन आरोपों के बाद इस्तीफा मांगा है. दो वरिष्ठ महिला पत्रकारों ने विदेश राज्यमंत्री एम जे अकबर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. दरअसल, वरिष्ठ पत्रकार प्रिया रमानी ने सोमवार को ट्वीट कर लिखा है कि अंग्रेजी पत्रिका वोग में ‘हार्वे विन्सिटन्स ऑफ द वर्ल्ड’ शीर्षक वाले अपने लेख में उन्होंने जिस शख्स का जिक्र किया है वो एम जे अकबर थे. जो उन दिनों उस अखबार के संपादक थे जिसके लिए उन्होंने इंटरव्यू दिया था.
प्रिया रमानी ने एम जे अकबर को ‘दरिंदे’ की संज्ञा देते हुए एक होटल में अपने इंटरव्यू की पूरी कहानी बयां की है. उन्होंने बिना नाम लिए लिखा कि उन्होंने होटल के कमरे में उनका इंटरव्यू लिया और उन्हें शराब ऑफर की. उन्होंने बिस्तर पर उनके पास बैठने को कहा. पोस्ट में कहा गया कि अकबर अश्लील फोन कॉल्स, मैसेज और असहज टिप्पणी करने में माहिर हैं. अकबर ने हिन्दी गाने भी गाए. सरकार की तरफ से इस मामले में पहली प्रतिक्रिया महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी की आई है जिन्होंने जांच की बात कही है.
#MeToo अभियान के तहत कई अन्य वरिष्ठ पत्रकारों पर भी यौन शोषण के आरोप लगे हैं. जिस पर एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने बयान जारी कर उन महिला पत्रकारों के साथ संवेदना जाहिर की जिन्होंने अपने साथ हुई इस तरह की घटना को सार्वजनिक किया है. एडिटर्स गिल्ड ने कहा है कि जिन मीडिया संस्थानों में इस तरह के मामले सामने आए है उन्हें स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच करानी चाहिए.
वहीं एक और वरिष्ठ पत्रकार शूमा राहा ने ट्वीट में लिखा कि 1995 में कोलकाता के ताज पैलेस में उसके सामने अकबर ने ऐसे ऑफर दिए थे. जिसके बाद उन्होंने नौकरी का प्रस्ताव ठुकरा दिया था.
लेखक प्रेरणा सिंह बिंद्र ने भी अकबर के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए ट्वीट में लिखा, ‘वो एम जे अकबर थे, मैं इसे हल्के में नहीं कह रही हूं. मैं जानती हूं कि गलत आरोप के क्या परिणाम हो सकते हैं. 17 साल हो गए और मेरे पास ठोस सबूत नहीं है. लेकिन मैं युवा थी, और मुझे फीचर एडिटर बना दिया गया. उन्होंने आगे लिखा मैं उनके बातों से प्रभावित थी, लेकिन इसका मतलब कतई नहीं है कि मैं उपलब्ध थी. जब मैने होटल में जाने से इनकार कर दिया तब बात बिगड़ गई.’
गौरतलब है कि एम जे अकबर पहले मंत्री हैं जिनका नाम #MeToo अभियान में सामने आया है. जबकि अब तक यौन शोषण का शिकार बनी महिलाएं सोशल मीडिया में सामने आ रही हैं और गुनहगारों के नाम सार्वजनिक कर रही हैं. इंडिया टुडे को इन आरोपों पर मंत्री की प्रतिक्रिया का इंतजार है.