नई दिल्ली । अंतरिक्ष गतिविधियों (space activities) पर नजर रखने वाली अपने तरह की पहली वेधशाला (observatory) उत्तराखंड (Uttarakhand) के गढ़वाल क्षेत्र (Garhwal region) में लगाई जाएगी। स्टार्टअप दिगंतारा (Startup Digantara) इसे स्थापित करेगा। यह पृथ्वी (Earth) की परिक्रमा लगा रही 10 सेमी जितने छोटे आकार की वस्तु पर भी नजर रखने में सक्षम होगी। स्पेस सिचुएशनल अवेयरनेस (एसएसए) वेधशाला अंतरिक्ष मलवे व सैन्य उपग्रहों की एक एक गतिविधि पर कड़ी नजर रखने में मदद करेगी। दिगंतारा के सीईओ अनिरुद्ध शर्मा ने कहा, उत्तराखंड में यह वेधशाला एसएसए की निगरानी के अंतर को खत्म कर देगी। क्योंकि अभी ऑस्ट्रेलिया से लेकर दक्षिणी अफ्रीका तक ऐसी कोई सुविधा नहीं है।
वर्तमान में इस क्षेत्र में अमेरिका का वर्चस्व है। अंतरिक्ष गतिविधियों पर नजर रखने वाली इस तरह की सबसे अधिक वेधशालाएं उसके पास हैं। उसकी यह वेधशालाएं विभिन्न जगहों पर तैनात हैं और कामर्शियल कंपनियां दुनियाभर से इनके लिए इनपुट मुहैया कराती हैं। शर्मा ने कहा, इस वेधशाला की मदद से हमारे वैज्ञानिक गहरे अंतरिक्ष की हर एक हलचल पर नजर रख पाएंगे। खासतौर से भूस्थैतिक, मध्यम-पृथ्वी और उच्च-पृथ्वी की कक्षाओं की गहर गतिविधि की निगरानी संभव होगी। इस जानकारी की मदद से उपग्रहों व अन्य अंतरिक्ष यानों के बीच भिड़ंत से बचा जा सकेगा। उनकी लोकेशन, गति और ट्रैजेक्टरी के बारे में और सटीक अनुमान लगाए जा सकेंगे। उत्तराखंड सरकार में उद्योग निदेशक सुधीर नौटियाल ने कहा, हमें उत्तराखंड में भारत की पहली समर्पित अंतरिक्ष स्थिति जागरूकता (एसएसए) वेधशालाओं की स्थापना में दिगंतारा की दृष्टि और योजनाओं का समर्थन करने पर गर्व है।
रूस-यूक्रेन के उदाहरण से समझें वेधशाला का महत्व
शर्मा ने रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध का उदाहरण देते हुए वेधशाला के रणनीतिक महत्व को समझाया। उन्होंने कहा, यूक्रेन में युद्ध से पहले, कई रूसी उपग्रहों को इस क्षेत्र में घूमते देखा गया था। इस प्रकार, वेधशाला भारत को एक रणनीतिक लाभ प्रदान करते हुए उपमहाद्वीप पर अंतरिक्ष गतिविधि की निगरानी करने की स्वदेशी क्षमता प्रदान करेगी।
अंतरिक्ष में चीन की चालबाजी पर भी रख सकेंगे नजर
शर्मा ने कहा, उदाहरण के तौर पर अगर चीनी उपग्रह को लंबे समय तक भारत के विशेष क्षेत्र में देखा जाता है तो यह वेधशाला ऐसी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए स्वदेशी क्षमता होगी। इसके लिए हमें अमेरिका जैसे देशों पर निर्भर नहीं होना होगा। भारत अभी मल्टी-ऑब्जेक्ट ट्रैकिंग राडार का उपयोग करके अंतरिक्ष गतिविधियों की निगरानी करता है। एसएसए वेधशाला इस क्षेत्र में एक बड़ी बढ़त साबित होगी।