लोकसभा चुनाव से पहले कमलनाथ के गढ़ में दरार, कांग्रेस को फिर लगा जोर का झटका
भोपाल: मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में बड़ी दरार पड़ गई है. कांग्रेस के पूर्व विधायक और प्रदेश महासचिव चौधरी गंभीर सिंह 13 मार्च को बीजेपी (BJP) में शामिल हो गए. उनके साथ-साथ 40 से ज्यादा कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बीजेपी का हाथ थाम लिया. उन्हें बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और न्यू जॉइनिंग टोली के प्रदेश संयोजक डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने पार्टी की सदस्यता दिलाई. चौधरी के साथ-साथ किसान कांग्रेस के अध्यक्ष चंद चौरिया, जिला कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष सतीश मिश्रा, हर्रई जनपद अध्यक्ष कंचना उइके, चौरई नेता प्रतिपक्ष नगरपालिका अर्जुन रघुवंशी, हर्रई जनपद पंचायत सदस्य रीति उइके, तामिया जनपद अध्यक्ष तुलसी परतेती भी बीजेपी में शामिल हो गईं.
प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने सभी का अंगवस्त्र पहनाकर स्वागत किया. इस अवसर पर प्रदेश शासन के मंत्री ऐदल सिंह कंसाना, पार्टी के प्रदेश प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल, जिला अध्यक्ष विवेक बंटी साहू और मोनिका बट्टी उपस्थित थे. दूसरी ओर, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. गोविंद सिंह ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी से भोपाल में मुलाकात की. इसे लेकर गोविंद सिंह ने मीडिया से कहा कि मैं यहां किसी भी चुनावी चर्चा के लिए नहीं आया था. जीतू पटवारी हमारे पार्टी अध्यक्ष हैं. मैं पहले भी मिलने आता था, आज भी मिलने आया हूं. इस दौरान सिंह ने पार्टी से किसी भी तरह की नाराजगी से इंकार किया. चुनाव लड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस पर विचार कर रहे हैं. वहीं, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने गोविंद सिंह को द्रोणाचार्य कहा. उन्होंने कहा कि गोविंद सिंह हमारे द्रोणाचार्य हैं. हमें उनसे बहुत कुछ सीखने को मिलता है. उनकी पार्टी से नाराजगी की बात कोरी अफवाह है.
इससे पहले 11 मार्च को कांग्रेस के पूर्व विधायक अरुणोदय चौबे, शिवदयाल बागरी और जिला उपाध्यक्ष कमरुद्दीन सहित कई नेता बीजेपी में शामिल हुए थे. इस मौके पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा था कि अरुणोदय के साथ आज नया अरुणोदय हुआ है. सागर की हमारी प्रत्याशी लता वानखेड़े की प्रचंड जीत होगी. अलीराजपुर के कमरू भाई गौ शाला चलाते है. आप भी गोपाल और मैं भी गोपाल. बता दें, 11 मार्च को ही बीजेपी के पूर्व नेता दीपक जोशी की भी पार्टी में वापस आने की संभावना थी, लेकिन संगठन की नाराजगी के चलते यह मसला टाल दिया गया. अरुणोदय चौबे ने कांग्रेस तब छोड़ी, जब पार्टी उन्हें सागर लोकसभा सीट से टिकट दे रही थी.