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चीन के ऐतराज के बाद भी 4 साल बाद लेह जाएंगे दलाई लामा,देंगे उपदेश

नई दिल्ली : तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा 15 जुलाई को लेह की यात्रा पर जाएंगे. लगभग चार वर्षों में उनकी ये पहली यात्रा पूर्वी लद्दाख में सैनिक गतिरोध को लेकर भारत और चीन के बीच बिगड़ते संबंधों के बीच होने जा रही है. चीन ने हमेशा तिब्बती धर्म गुरु की इस इलाके की यात्राओं पर आपत्ति जताई है. 2018 में दलाई लामा की अंतिम लेह यात्रा के समय भी चीन बहुत बौखलाया हुआ था. 2020 में कोविड-19 के आने के बाद से दलाई लामा की ये पहली बड़ी यात्रा भी होगी.

खबर के मुताबिक दलाईलामा 14 जुलाई को जम्मू और उसके अगले दिन लद्दाख जा रहे हैं. पिछले दो सालों में तिब्बती धर्मगुरु की धर्मशाला के बाहर पहली यात्रा होगी. ऐसी आशंका है कि इससे चीन की खीज और बढ़ सकती है. क्योंकि यह यात्रा पूर्वी लद्दाख में कई स्थलों पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच लंबे समय से चल रहे सैन्य गतिरोध के बीच हो रही है.
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जबकि दलाई लामा के 87वें जन्मदिन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बधाई देने पर चीन की आलोचना को खारिज करते हुए विदेश मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार की नीति दलाई लामा को हमेशा देश के सम्मानित अतिथि के रूप में देखने की रही है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इस बारे में संवाददाताओं के सवालों के उत्तर में कहा कि बुधवार को दलाईलामा को उनके जन्मदिन पर दी गयी बधाई को समग्र संदर्भ में देखा जाना चाहिए.

बागची ने कहा कि ‘दलाई लामा भारत में सम्मानित अतिथि और धार्मिक नेता हैं जिन्हें धार्मिक एवं आध्यात्मिक कार्यों को करने के लिये उचित शिष्टाचार एवं स्वतंत्रता प्रदान की गई है. इनके बड़ी संख्या में अनुयायी हैं.’ उन्होंने कहा कि दलाई लामा का जन्मदिन भारत और दुनिया भर में उनके अनुयायियों द्वारा मनाया जाता है.

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने बुधवार को 87 वर्ष के होने पर दलाई लामा को फोन पर बधाई दी थी. मोदी ने बुधवार को ट्वीट किया था कि ‘फोन पर दलाई लामा से बात कर उन्हें 87वें जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं. हम उनके लंबे जीवन और उत्तम स्वास्थ्य की कामना करते हैं.’ प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल भी दलाई लामा को उनके जन्मदिन पर बधाई दी थी. दलाई लामा के अनुयायियों ने धर्मशाला में उनका जन्मदिन मनाया जहां दलाई लामा निर्वासन में रहते हैं.

मोदी की शुभकामनाओं पर एक सवाल को लेकर प्रतिक्रिया देते हुए चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि ‘भारतीय पक्ष को 14वें दलाई लामा के चीन विरोधी अलगाववादी स्वभाव को पूरी तरह से पहचानना चाहिए.’ झाओ ने कहा कि उसे ‘चीन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का पालन करना चाहिए, समझदारी से बोलना और कार्य करना चाहिए तथा चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए तिब्बत से संबंधित मुद्दों का इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए.’

झाओ ने दलाई लामा को बधाई देने के लिए अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की भी आलोचना की. चीन की यह प्रतिक्रिया ऐसे समय में आई है जब इंडोनेशिया के बाली में जी-20 समूह के विदेश मंत्रियों की शिखर बैठक से इतर विदेश मंत्री एस. जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई है. फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि बाली में चीन एवं भारत के विदेश मंत्रियों के बीच यह मुद्दा उठा या नहीं.
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दलाई लामा के जन्मदिन को मनाने के लिए दिल्ली में ब्यूरो आफ दलाई लामा द्वारा आयोजित कार्यक्रम में विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी और विधि राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल ने हिस्सा लिया था. अपने संक्षिप्त संबोधन में लेखी ने कहा था कि दलाई लामा ऐसे व्यक्ति हैं जिनकी भारत में महान सांस्कृतिक शक्ति के रूप चर्चा होती है और जिन्होंने भारत को मां के रूप में स्वीकार किया है. तिब्बती आध्यात्मिक नेता के जन्मदिन पर नितिन गडकरी, किरन रीजीजू सहित कई मंत्रियों ने उन्हें शुभकामनाएं दी थी.

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