नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को हर जिले में गौ रक्षा के लिए अलग प्रकोष्ठ बनाने और गोवध पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर नोटिस जारी किया। जनहित याचिका के रूप में दायर, मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमणियम प्रसाद की खंडपीठ ने इसकी सुनवाई करते हुए केंद्र व अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली सरकार और पुलिस से जवाब मांगा। खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 17 मई के लिए सूचीबद्ध की है।
अजय गौतम की जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि दिल्ली में बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों के बावजूद गोकशी की घटनाएं बड़े पैमाने पर हुई हैं। केंद्र की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) चेतन शर्मा ने कहा कि यह वास्तविक मामला है।
याचिकाकर्ता का कहना है कि हरियाणा के मेवात या नुहू जिले के लोग राजधानी में सड़कों, खेतों या डेयरियों से गायों का अपहरण करते हैं और उन्हें काटने के लिए ले जाते हैं।
याचिकाकर्ता ने यह कहते हुए नाराजगी दिखाई है कि गायों के साथ दुर्व्यवहार और अत्याचार की घटनाओं को देखना उन लोगों के लिए असहनीय हो जाता है जो गाय को अपनी मां के रूप में मानते हैं।
कई मामलों में, गौ रक्षकों ने पुलिस के सामने पहले अपराध स्थल पर छापा मारा और परिणामस्वरूप गाय तस्करों और गाय रक्षकों के बीच संघर्ष की सूचना मिली। गाय के मांस को ले जाने वाले वाहनों को जब्त करना एक बहुत ही सामान्य घटना है। इन घटनाओं से साम्प्रदायिक तनाव भी बढ़ता है और परिणामस्वरूप साम्प्रदायिक सौहार्द बिगड़ता है।
याचिका में कहा गया है कि दिल्ली पुलिस अधिनियम, 1978 के अनुसार, गाय तस्करों और गाय सेवकों के बीच संघर्ष से बचने के लिए पुलिस को गायों की सुरक्षा के लिए विशेष प्रकोष्ठ या इकाई बनाने का अधिकार है।