उत्तर प्रदेशटॉप न्यूज़

दिल्ली मैंगो फेस्टिवल में सबसे अव्वल यूपी के आम

लखनऊ: 31 वें दिल्ली मैंगो फेस्टिवल में पश्चिम बंगाल, बिहार, हरियाणा और उत्तराखंड राज्यों के आमों के होने के बावजूद लखनऊ और आसपास पैदा हुए आमों की किस्मों का बोलबाला रहा. केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, रहमानखेड़ा, लखनऊ ने इस फेस्टिवल में 300 से अधिक किस्मों को प्रदर्शित किया, जबकि मलिहाबाद, मुजफ्फरनगर, सीतापुर, सहारनपुर से भी आम की किस्मों का प्रदर्शन किया गया. फेस्टिवल में दिखाए गए लगभग 90 प्रतिशत आम उत्तर प्रदेश के हैं. जुलाई के दौरान हर साल आयोजित होने वाला यह कार्यक्रम न केवल आम प्रेमियों को आकर्षित करता है, बल्कि आम की किस्मों को संरक्षित करने में सहयक हैं. किसान दिल्ली पर्यटन द्वारा आयोजित इस राष्ट्रीय कार्यक्रम में अपनी किस्मों को प्रदर्शित करने की प्रतीक्षा करते हैं. आम के इस महा आयोजन में आम उत्पादों और प्रसंस्कृत पदार्थों का आनंद लिया हा सकता है.

किसानों के सामूहिक प्रयासों से प्रदर्शित कीं 500 किस्में, हाइब्रिड 4120 सबसे अधिक किया गया पसंद

CISH द्वारा प्रदर्शित हाइब्रिड 4120 को आगंतुकों ने सबसे अधिक पसंद किया क्योंकि फल बेहद आकर्षक रंग का है. अंबिका और अरुणिका के फलों देखने के बाद लोग फलों को खरीदने के इच्छुक होते हैं, साथ ही वे अपने किचन गार्डन में भी इस किस्म को लगाना चाहते हैं. एमडी, नेशनल हॉर्टिकल्चर बोर्ड ने संस्थान के स्टॉल का भी दौरा किया और दशहरी और चौसा के संकरण के माध्यम से विकसित हाइब्रिड CISH-M-2 में बहुत रुचि दिखाई. इस किस्म में दशहरी और चौसा दोनों का स्वाद हैं. यह संकर किस्म दशहरी के बाद पकती है. चिल्टा खास को देखने को कई लोग इच्छुक थे जिसमें हरे छिलके पर बेहद आकर्षक सफेद धारियां होती हैं और लोग पूछते हैं कि ऐसा आम कैसे बना. वही आगंतुकों को बारामासी आमों में अधिक रुचि है ताकि वे पूरे वर्ष आमों का लुत्फ़ ले सकें.  वही कुछ लोग यह मानने के लिए तैयार नहीं  थे कि इतनी किस्में भारत में मौजूद हैं और कई लोग हैरान हैं और टिप्पणी करते हैं कि ये कृत्रिम आम हैं. गधेमार, हुस्न-ए-आरा, काकरिया किंग साहेब, करेला और नाज़ुक बदन जैसे विशिष्ट नामों ने लोगों को आकर्षित किया.

निदेशक शैलेंद्र राजन ने बताया कि हमने किसानों की नियमित भागीदारी के कारणों का अध्ययन किया और पाया की दिल्ली पर्यटन द्वारा विभिन्न फल प्रदर्शित करने वाले किसानो को फल बेचने के लिए स्थान उपलब्ध कराया जाना प्रमुख आकर्षण है.  वही मलिहाबाद में CISH द्वारा आम विविधता संरक्षण समिति के राम किशोर से पूछने पर उन्होंने बताया कि आम की विविधता प्रदर्शित करने पर एक स्टाल नि: शुल्क मिलता है और लगभग 10 साल पहले CISH ने इस समिति का विकास किया और उन्होंने चार गाँवों के किसानों के सामूहिक प्रयासों से कई 500 किस्में प्रदर्शित कीं. वे दिल्ली को आम बेचने के लिए एक अच्छी जगह समझते है इसलिए अन्य किसान भी आम बेचने के लिए फेस्टिवल में भाग लेने के इच्छुक हैं.  SCMD के सदस्यों ने प्रदर्शित किया कि कैसे वे अपने गैर व्यावसायिक किस्मों के लिए बेहतर बिक्री मूल्य प्राप्त कर सकते हैं जिन्हें आम के थोक बाजार में स्वीकार नहीं किया जा रहा है.

Related Articles

Back to top button