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डेल्टा वैरिएंट से अस्पताल में भर्ती होने का जोखिम दोगुना, वैज्ञानिकों ने 40 हजार से ज्यादा मामलों का किया अध्‍ययन

लंदन। कोरोना वायरस (कोविड-19) से मुकाबले में नए वैरिएंट चुनौती बन रहे हैं। इनके चलते संक्रमण फिर तेजी से बढ़ रहा है। कोरोना के नए वैरिएंट को लेकर एक नया अध्ययन किया गया है। इसका दावा है कि कोरोना के अल्फा वैरिएंट के मुकाबले डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित होने वाले लोगों को अस्पताल में भर्ती करने का जोखिम दोगुना हो सकता है। लैंसेट इंफेक्शस डिजीज पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, यह निष्कर्ष ब्रिटेन में कोरोना के 40 हजार से ज्यादा मामलों के विश्लेषण के आधार पर निकाला गया है।

पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड की नेशनल इंफेक्शन सर्विस के शोधकर्ता गेविन डबरेरा ने कहा, ‘यह अध्ययन पूर्व के नतीजों की पुष्टि करता है कि डेल्टा से संक्रमित होने वाले लोगों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत ज्यादा पड़ सकती है। विश्लेषण में ज्यादातर मामले बिना टीकाकरण वाले शामिल किए गए थे।’ उन्होंने कहा, ‘हम यह जानते हैं कि टीकाकरण डेल्टा के खिलाफ मजबूत सुरक्षा मुहैया कराता है।

ब्रिटेन में कोरोना के 98 फीसद मामलों का संबंध इसी वैरिएंट से पाया गया है। इसलिए जिन लोगों ने अभी वैक्सीन की दोनों डोज नहीं लगवाई है, वे इस काम को शीघ्रता के साथ पूरा करें।’ शोधकर्ताओं के मुताबिक, अल्फा वैरिएंट के मुकाबले डेल्टा के चलते मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने का खतरा 2.2 गुना ज्यादा पाया गया है। अध्ययन से यह भी जाहिर हुआ कि वैक्सीन लगने से दोनों वैरिएंट के चलते संक्रमण के गंभीर होने और अस्पताल में भर्ती होने का खतरा कम होता है।

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