किसानों के समर्थन में देश भर में बिजली कर्मियों ने किया विरोध प्रदर्शन
लखनऊ : कृषि कानूनों और इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 की वापसी को लेकर किसानों के समर्थन में मंगलवार को देश भर में लगभग 15 लाख बिजली कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरों और इंजीनियरों ने विरोध प्रदर्शन किया।
किसानों को बिजली टैरिफ में मिल रही सब्सिडी समाप्त कर दी जाए
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने बताया कि आज देश भर में सभी प्रांतों में बिजली कर्मचारियों ने भोजनावकाश के दौरान प्रदर्शन कर किसानों के साथ अपनी एकजुटता का प्रदर्शन किया। उन्होंने बताया कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 का ड्राफ्ट जारी होते ही बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों ने इसका पुरजोर विरोध किया था। इसमें इस बात का प्रावधान है कि किसानों को बिजली टैरिफ में मिल रही सब्सिडी समाप्त कर दी जाए और बिजली की लागत से कम मूल्य पर किसानों सहित किसी भी उपभोक्ता को बिजली न दी जाए।
दुबे ने कहा कि हालांकि बिल में इस बात का प्रावधान किया गया है कि सरकार चाहे तो डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के जरिए किसानों को सब्सिडी दे सकती है। लेकिन, इसके पहले किसानों को बिजली बिल का पूरा भुगतान करना पड़ेगा जो सभी किसानों के लिए संभव नहीं होगा।
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बिजली का निजीकरण करने की है योजना
उन्होंने बताया कि किसान संयुक्त मोर्चा के आह्वान पर चल रहे आन्दोलन में कृषि कानूनों की वापसी के साथ किसानों की यह एक प्रमुख मांग है कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 वापस लिया जाए। किसानों का मानना है कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 के जरिए बिजली का निजीकरण करने की योजना है। इससे बिजली निजी घरानों के पास चली जाएगी। निजी क्षेत्र मुनाफे के लिए काम करते हैं, जिससे बिजली की दरें किसानों की पहुंच से दूर हो जाएंगी।
किसानों की आशंका निराधार नहीं है
उन्होंने इस सवाल पर किसान आन्दोलन का समर्थन करते हुए कहा है कि किसानों की आशंका निराधार नहीं है। इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 और बिजली वितरण के निजीकरण के लिए जारी स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्युमेंट बिजली के निजीकरण के उद्देश्य से लाए गए हैं। ऐसे में सब्सिडी समाप्त हो जाने पर बिजली की दरें 10 से 12 रुपये प्रति यूनिट हो जाएगी और किसानों को 8 से 10 हजार रुपये प्रति माह का न्यूनतम भुगतान करना पड़ेगा।
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