देहरादून: उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के कनार गांव में मतदाताओं ने अपनी बात प्रशासन और सरकार तक पहुंचाने के लिए मतदान बहिष्कार का रास्ता चुना। लोगों ने रोड निर्माण की मांग को लेकर चुनाव का बहिष्कार कर दिया है। इस गांव में वोट कराने के लिए वोटिंग दल ने चार दिनों में 100 किलोमीटर की पैदल यात्रा की, लेकिन मतदान के दिन केवल 4 ही वोट पड़े।
गांव में कुल रजिस्टर्ड 587 वोटर
कनार गांव में स्थित मतदान केंद्र पर कुल 587 वोटर रजिस्टर्ड हैं। पहले चरण के चुनाव में इनकी वोटिंग के लिए चार सदस्यीय चुनावी दल को रवाना किया गया था। मतदान दल की चार दिवसीय यात्रा निराशाजनक तरीके से खत्म हुई। मतदान दल के चार सदस्यों और चार ग्रामीणों ने ही मतदान किया। वोटिंग कराने गई टीम वापस पिथौरागढ़ लौट आई। वोटिंग के ग्रामीणों की उदासीनता का कारण उनकी सबसे बुनियादी जरूरत सड़क रही। सड़क निर्माण को लेकर लगातार क्षेत्र को उपेक्षा का सामना करना पड़ रहा है। इसको लेकर ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन किया है।
2019 में भी किया था चुनाव का बहिष्कार
ग्रामीणों ने सड़क निर्माण की मांग को लेकर लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान भी शून्य मतदान के साथ वोटिंग का बहिष्कार किया था। कनार गांव के लोगों ने सड़क को लेकर एक बार फिर नाराजगी जताई। चुनाव पदाधिकारियों की ओर से उन्हें वोट के लिए मनाया गया, लेकिन वे अपनी मांग पर डटे रहे। स्थानीय ग्रामीण जीत सिंह ने कहा कि चुनाव बहिष्कार हमारे लंबे समय से चले आ रहे संघर्ष का प्रमाण है। सरकार के लिए यहां का मतदान प्रतिशत या इसमें कमी हमारे बुनियादी अधिकारों के लिए एक चेतावनी होनी चाहिए। हम सड़क के लिए तरसते हुए रोजाना कठिनाइयों को सहन करते हैं। अधिकारियों को हमारी भलाई के बारे में कोई चिंता नहीं है। इसलिए कोई कारण नहीं है कि हमें वोट देना चाहिए। अन्य ग्रामीणों ने भी उनका समर्थन किया।