रायपुर : केंद्र सरकार ने 16 अगस्त से आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत निजी अस्पतालों में मिल रही नि:शुल्क प्रसव की सुविधा को बंद कर दिया है, इस कारण इन अस्पतालों में पहुंच रहे मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा है और मजबूरन पैसे देकर प्रसव करना पड़ रहा है। इसकी जानकारी मिलने के बाद छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर योजना के पैकेज में प्रसव की सुविधा पूर्व की तरह रखने की मांग की है।
स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार राज्य में आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत प्रसाव से इलाज के खर्चे की 60 प्रतिशत राशि केंद्र व 40 प्रतिशत राशि राज्य सरकार वहन करती है। यदि मांग को लेकर केंद्र का सकारात्मक जवाब नहीं आता है, तो राज्य सरकार अपने स्तर पर इस सुविधा को जारी रखने पर विचार कर सकती है। हालांकि केंद्र के जवाब के बाद ही निर्णय लिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि राज्य में हर साल पांच लाख से अधिक प्रसव होता है जिसमें 40 प्रतिशत प्रसव निजी अस्पतालों में होता है, यहां सिर्फ सिजेरियन डिलीवरी को ही पैकेज में रखा गया था। निजी अस्पतालों में होने वाले प्रसव में 70 प्रतिशत प्रसव सिजेरियन से किया जाता है जिसमें आयुष्मान कार्ड से होने सिजेरियन प्रसव का भुगतान शासन द्वारा किया जाता है।
केंद्र सरकार ने 16 अगस्त के बाद से आयुष्मान योजना के तहत निजी अस्पतालों में होने वाले प्रसव पर रोक लगा दी है जिसके कारण इन अस्पतालों में 16 अगस्त के बाद होने वाले सिजेरियन प्रसव के लिए शासन की तरफ से भुगतान नहीं किया जा रहा है। ऐसे में इन अस्पतालों में प्रसव के लिए भर्ती मरीजों को मजबूरन खुद ही खर्च वहन करना पड़ रहा है होगा। शासकीय अस्पतालों में गर्भवती माताओं के लिए इलाज की सुविधाएं पूरी तरह नि:शुल्क है पर अधिकांश लोग निजी अस्पतालों की ओर ही रुख करते हैं।