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विशेष सब्जियों की खेती से किसानों की आय में होगा महत्वपूर्ण सुधार

लखनऊ: केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (भाकृअनुप), रहमानखेड़ा, लखनऊ में गुरुवार को अनुसूचित जाति के किसानों का कृषि तकनीकियों द्वारा सशक्तिकरण किये जाने के लिये किसान मेला एवं संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इस किसान मेला एवं संगोष्ठी का उद्घाटन मलिहाबाद विधानसभा क्षेत्र की विधायिका श्रीमती जयदेवी कौशल ने किया.  इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संस्थान के निदेशक डा. शैलेन्द्र राजन ने बताया कि संस्थान अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के किसानों के सशक्तिकरण के प्रति प्रतिबद्ध है.

केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान में अनुसूचित जाति के किसानों के लिए मेला एवं संगोष्ठी आयोजित

यही कारण है कि आज अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के शुभ अवसर पर अनुसूचित जाति के किसानों के लिये इस किसान मेला एवं संगोष्ठी का आयोजन किया गया है. उन्होंने बताया कि लखनऊ में अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या के लगभग पाँच लाख लोग निवास करते हैं जिनमें से अधिकांश भूमिहीन एवं सीमांत किसान हैं. इन किसानों को कृषि तकनीकियों के माघ्यम से सशक्त करने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए इस किसान मेला एवं संगोष्ठी का आयोजन किया गया है.

इस मेला एवं संगोष्ठी में भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान लखनऊ, कृषि विज्ञान केन्द्र उन्नाव, फार्मर फर्स्ट, अवध आम उत्पादक समिति, नबीपनाह, आम विविधता अनुरक्षण समिति, कसमंडीकला,  सिंजेन्टा  इंडिया लिमिटेड, ढकवा गाव, मलिहाबाद आदि के किसानोपयोगी स्टाल लगाये गये. इस दौरान संस्थान के स्टाल में हाइड्रोपानिक्स के माध्यम से पैदा किये गये लैट्टयूस तथा लाल स्विस चार्ड, हरा स्विस चार्ड, चाईनीस पत्ता गोभी आदि विदेशी सब्जियों को भी प्रदर्शित किया गया. इन सब्जियों को पैदा करने वाले किसानों की आय में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है. डा. राजन ने आगे बताया कि भारत में प्रोटीन की कमी के कारण कुपोषण की समस्या व्यापक स्तर पर देखी जाती है. प्रोटीन की कमी को दूर करने में सेम का विशेष महत्व है.

प्रदर्शनी में संस्थान ने संकलित 25 सेम के जननद्रव्यों को भी प्रदर्शित किया जिसका लाभ किसान उठा सकते थे.  डिंगरी मशरूम का बीज तथा उसकी उत्पादन युक्त बेड का प्रदर्शन भी किया गया. संस्थान के सुनियोजित कृषि विकास केन्द्र द्वारा प्रदर्शिनी के दौरान संरक्षित खेती के माध्यम से उत्पादित टमाटर के साथ ही ड्रिप एवं मल्चिंग का उपयोग कर ब्रोकली, लाल पत्ता गोभी तथा ग्रीन पत्ता गोभी को भी प्रदर्शित किया गया. मेले में केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान के स्टाल पर औषधीय पौधों, हर्बल उत्पादों तथा उनसे संबंधित प्रकाशनों के उत्पादन को भी प्रदर्शित किया गया. फार्मर फर्स्ट के स्टाल पर स्ट्राबेरी, हल्दी,  ब्रोकली, सरसों, कद्दू, पालक, श्लजम आदि सब्जी फसलों के अलावा कड़कनाथ नामक मुर्गा को भी दिखाया गया। भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान के स्टाल पर गन्ना की किस्में एवं उनसे संबंधित साहित्य प्रदर्शित की गयीं। इस किसान मेला एवं प्रदर्शनी में लगभग 500 किसानों ने हिस्सा लिया सभी किसान कृषि प्रौद्योगिकियों एवं तकनीकियों को देखकर आनंदित थे. मेला में वैज्ञानिकों,  तकनीकी अधिकारियों के अलावा सामान्य जनमानस भी इसमें हिस्सा लिया.

मेला के अवसर पर किसान गोष्ठी में डा. मनीष मिश्र ने बताया कि हमारे प्रदेश में अनुसूचित जाति के लगभग 4 करोड़ लोग रहते हैं जिनमें से लगभग 89 प्रतिशत लघु एवं सीमांत किसान हैं जबकि अन्य जातियों की तुलना में इनकी औसत आय 21 प्रतिशत कम है जो चिंता का विषय है. इसी को ध्यान में रखकर हमारे संस्थान द्वारा अनुसूचित जाति उपयोजना के अंतर्गत 40 गाँव से400 किसान चयनित कर उनके उत्थान हेतु औद्यानिकी तकनीकी का हस्तांतरण किया जा रहा है.

तकनीकी सत्र में कार्बनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए डा. राम अवध राम ने वर्मी कंपोस्ट एवं कार्बनिक कीट-नाशी बनाने और उपयोग पर चर्चा, डा. एसआर सिंह ने देशी-विदेशी सब्जियों की उत्पादन विधि का वर्णन, डा.पीके शुक्ल ने वर्ष भर मशरूम उत्पादन करने और उससे कम स्थान, कम पानी और कम मेहनत से अधिकतम लाभ पाने के विषय में सविस्तार बताया. डा. अशोक कुमार ने स्ट्राबेरी और विदेशी सब्जियों की खेती के बारे में बताया कि यह हमारे क्षेत्र के किसान सफलतापूर्वक उगा रहे हैं.

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