जीवनशैली

ट्रेंड में है फ्लॉवर बेड, इन बातों का रखेंगे ध्यान तो नहीं होगा नुकसान

आजकल मल्टीस्टोरी बिल्डिंग्स के निर्माण में बालकनी, किचन और वॉशरूम का फ्लोर घर के फ्लोर से कुछ इंच नीचा रखा जाता है। यह निचाई 3 से 4 फीट तक होती है। ताकि यहां का पानी बहकर पूरे घर में न फैल सके। बालकनी में स्पेस के आधार पर फ्लॉवर बेड बनाने का ट्रेंड बहुत देखने में आ रहा है। अगर आपके घर में भी फ्लॉवर बेड बना है तो जरूरी है कि ये बातें आपको पता हों…

जिन बिल्डिंग में बालकनी बाहर की तरफ निकली होती है, उनमें खिड़की के बाहर गमले की तरह लगभग खिड़की की चौड़ाई के ही बराबर क्यारीनुमा स्थान बने होते हैं, जिनमें मिट्टी भरकर छोटे-छोटे फूलों वाले पौधे लगाए जाते हैं। इन्हें ही फ्लॉवर बेड कहा जाता है।

फ्लॉवर बेड की गहराई आमतौर पर डेढ़ से दो फीट तक की होती है। यही आदर्श गहराई भी मानी जाती है। जो बिल्डिंग और पौधे दोनों के लिए मुफीद मानी जाती है।

कई बार फ्लॉवर बेड पर ग्रिल लगाकर उसे कपड़े सुखाने के लिए उपयोग किया जाता है और लोगों का मानना होता है कि इसमें मिट्टी नहीं भरी है केवल जाली लगी है। इसलिए यह दिशा का विस्तार नहीं है। जबकि ऐसा नहीं होता है। जाली लगने के साथ ही वह घर की दिशा का विस्तार रूप बन जाता है।

अगर आपको फ्लॉवर बेड में पौधे नहीं लगाने है, मिट्टी भी नहीं भरनी है तो कोई बात नहीं। लेकिन इस पर जाली न लगाएं। बिना मिट्टी भरा फ्लॉवर बेड किसी छज्जे की तरह कार्य करेगा और इसकी गहराई का भी कोई नकारात्मक प्रभाव घर पर नहीं पड़ेगा।

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