वन मंत्री का दावा-प्रदेश में जल्द ही अफ्रीकन जेब्रा और जिराफ भी लाये जायेंगे !
भोपाल : मध्य प्रदेश में चीतों के बाद अब जेब्रा और जिराफ लाने की तैयारी शुरू हो गई हैं। इन जानवरों की झलक 3 महीने बाद देखने को मिल सकती है। इसे लेकर प्रदेश के वन मंत्री डॉ. विजय शाह ने दावा किया है कि अफ्रीका से अगले साल 26 जनवरी से पहले जेब्रा और जिराफ को प्रदेश में बसाया जाएगा। जिसके लिए राजधानी भोपला का वन विहार सबसे अनुकूल है।
जानकारी के अनुसार मैनेजमेंट ने इसका प्रस्ताव जू अथॉरिटी ऑफ इंडिया को भेजा है। साथ ही अब प्रदेश के सभी नेशनल पार्कों में 1 जनवरी 2023 से प्लास्टिक की बोतल और थैलियों पर बैन लगेगा। वन मंत्री ने बताया कि प्रदेश में अफ्रीका से चीता आने के बाद अब जेब्रा और जिराफ को भी 26 जनवरी 2023 के पहले वन विहार राष्ट्रीय उद्यान भोपाल में लाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
मंत्री शाह ने बताया कि भोपाल के आसपास टाइगर मूवमेंट को देखते हुए इस क्षेत्र को अभयारण्य बनाने पर विचार किया जा सकता है। इसके लिए जनप्रतिनिधियों, वन्यप्रेमी और बुद्धिजीवी वर्ग को आगे आना चाहिए। इस दौरान मंत्री ने बताया कि वन विभाग के सभी नेशनल पार्क में प्लास्टिक बोतल और थैलियों पर एक जनवरी 2023 से प्रतिबंध लगाया जाएगा। इसके बदले वहां वाटर एटीएम लगाए जाएंगे। जिनसे पर्यटकों को कम कीमत पर पानी मिलेगा।
वहीं इसके बाद शेर, बाघ, भालू, लोमड़ी, तेंदुआ, हिरण, बारहसिंगा समेत अन्य जानवरों के साथ लोगों को जेब्रा और जिराफ के दीदार भी हो सकेंगे। टाइगर और लेपर्ड स्टेट मध्य प्रदेश अब चीता स्टेट भी बन गया है। यहां नमीबिया से 8 चीतें आए हैं, जो कूनो नेशनल पार्क में है। PM नरेंद्र मोदी ने 18 सितंबर को पार्क में पिंजरे खोलकर चीता को बाड़े में छोड़ा था।
देश में 70 साल बाद चीते कूनो में लाए गए हैं। इसके लिए पिछले 20 साल से प्रोसेस चल रही थी। इसके बाद यह देश का एकलौता ऐसा पहला प्रदेश बन गया है, जहां पर टाइगर, लेपर्ड और चीता तीनों है। फिलहाल चीते क्वारंटाइन हैं। मंत्री ने बताया कि वन विहार देश का इकलौता ऐसा नेशनल पार्क है, जो किसी राजधानी के बीचों-बीच में है।
बता दें कि 26 जनवरी 1983 के दिन वन विहार को नेशनल पार्क का दर्जा मिला था। वन विहार बड़े तालाब के पास पहाड़ी और आसपास के 445.21 हेक्टेयर क्षेत्र को मिलाकर बना है। हर साल यहां डेढ़ से दो लाख पर्यटक आते हैं। इसलिए जिराफ और जेब्रा के लिए इसे बेहतर माना जा रहा है। यही कारण है कि जू अथॉरिटी को प्रस्ताव भी भेजा जा चुका है।