नई दिल्ली: फ्रांसीसी कंपनी डसॉल्ट एविएशन अल्बाट्रोस फाल्कन-2000 ने विमान की तकनीक भारत को देने पर सहमति जताई है। फाल्कन संस्करण का यह विमान निगरानी, टोही, सतह रोधी हमले, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध या बेड़े के प्रशिक्षण जैसे मिशनों के लिए विकसित किया गया है। यह पहली बार होगा जब कोई अंतरराष्ट्रीय कंपनी अपने देश की एयरफोर्स के लिए पूरे विमान का निर्माण भारत में करेगी। भारत को राफेल विमानों की आपूर्ति शुरू होने के बाद भी फ्रांसीसी कंपनी से डिफेंस ऑफसेट पॉलिसी के तहत तकनीक हस्तांतरण न होने पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने मानसून सत्र के दौरान संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में सवाल उठाये थे।
फ्रांस की कंपनी डसॉल्ट एविएशन से 59 हजार करोड़ रुपये में 36 राफेल विमानों की डील करते समय ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट में डीआरडीओ को कावेरी इंजन की तकनीक देकर 30 प्रतिशत ऑफसेट पूरा करने की बात तय हुई थी। भारत की डिफेन्स ऑफसेट पॉलिसी के मुताबिक 300 करोड़ रुपये से ज्यादा का रक्षा सौदा होने पर विदेशी कंपनियों को अनुबंध का 30 प्रतिशत हिस्सा भारत में रिसर्च या उपकरणों पर खर्च करना होता है। राफेल सौदे में ऑफसेट पॉलिसी पूरी न होने पर कैग ने रक्षा मंत्रालय को इस पॉलिसी की समीक्षा करने की सलाह दी थी। इसके बाद जारी की गई नई रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (डीएपी)-2020 में इस व्यवस्था को बदल दिया गया। नई गाइडलाइंस इस तरह की बनाई गई हैं कि अब सरकार-से-सरकार, अंतर-सरकार और एकल विक्रेता से रक्षा खरीद में ऑफसेट पॉलिसी लागू नहीं होगी।
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बहरहाल राफेल डील के समय तय हुए ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक भारत को 30 हजार करोड़ का ऑफसेट पैकेज दिया जाना है। इसलिए अब फ्रांसीसी कंपनी ने भारत को अल्बाट्रोस फाल्कन-2000 की तकनीक देने पर सहमति जताई है। कंपनी का कहना है कि चौथा अल्बाट्रोस फाल्कन-2000 विमान फ्रांसीसी वायुसेना को देने के बाद भारत को इसकी तकनीक हस्तांतरित की जाएगी। फाल्कन संस्करण का यह विमान निगरानी, टोही, सतह रोधी हमले, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध या बेड़े के प्रशिक्षण जैसे मिशनों के लिए विकसित किया गया है। अल्बाट्रोस फ्रेंच एयरफोर्स के मैरीटाइम पैट्रोल एयरक्राफ्ट (एमपीए) की अगली पीढ़ी का विमान है जिसमें बोइंग पी-8 जैसी कुछ विशेषताएं हैं।
डसॉल्ट एविएशन के अध्यक्ष और सीईओ एरिक ट्रैपियर ने बताया कि फाल्कन 2000 अल्बाट्रोस एक उच्च-प्रदर्शन वाला विमान है जो नवीनतम पीढ़ी के मिशन सिस्टम और सेंसर से लैस है। ये विमान समुद्री सुरक्षा के अलावा प्रदूषण और तस्करी रोकने, सीमाओं और बहिष्कार क्षेत्रों की निगरानी, मछली पालन, समुद्र में खोज और बचाव आदि में मदद करेंगे। कंपनी के मुताबिक पहला विमान फ्रांस में निर्मित किया जाएगा और शेष 11 का उत्पादन ऑफसेट व्यवस्था के हिस्से के रूप में भारत में किया जाएगा। सभी 12 विमानों का कॉन्फ़िगरेशन फ्रांस में करने के बाद 2025 तक निर्माण पूरा हो जायेगा। भारत में फाल्कन 2000 एलएक्सएस विमान का निर्माण भारतीय ऑफसेट और मेक-इन-इंडिया नीति के तहत होगा। यह पहली बार होगा जब कोई अंतरराष्ट्रीय कंपनी अपने देश की एयरफोर्स के लिए पूरे विमान का निर्माण भारत में करेगी।
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