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स्कूलों के बार-बार बंद होने से छात्रों की सीखने की क्षमता प्रभावित

नई दिल्ली: कोरोना महामारी और प्रदूषण के चलते बार-बार स्कूल बंद होने से छात्रों के पढ़ने और सीखने की क्षमता प्रभावित हो रही है। शिक्षकों के अनुसार नियमित कक्षाएं न होने से छात्र ठीक ढंग से नहीं पढ़ पा रहे हैं और न ही सवालों का जवाब दे पा रहे हैं। ऑनलाइन कक्षा को लेकर छात्र ज्यादा सक्रिय नहीं है।

बुनियाद कमजोर हो रही
राजकीय विद्यालय शिक्षक संघ पश्चिमी जिला के सचिव संतराम ने बताया कि कोरोना और प्रदूषण के चलते बच्चों की पढ़ाई का नुकसान हो रहा है। इससे बच्चों की बुनियाद कमजोर हो रही है। वास्तविक पढ़ाई आमने-सामने कक्षा में होती है। ऑनलाइन पढ़ाई में 10-15 फीसदी से ज्यादा छात्र सक्रिय नहीं होते हैं वहीं उनकी सीखने की ललक भी कम हो रही है। छात्र मानसिक रूप से तनाव का शिकार हो रहे है साथ ही घरेलू जीवन पर भी इसका दुष्प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि बच्चों की कक्षा के हिसाब से फर्क पड़ता है। नगर निगम के स्कूलों में शिक्षक अभी छठी के बच्चों से नहीं जुड़ नहीं सकेंगे तो सीखेंगे कैसे। ऐसा ही फर्क नौवीं और दसवीं कक्षा के बीच में नजर आ रहा है। गणित के छात्र खुद को कमजोर समझ रहे है।

बुनियादी सवालों का भी नहीं दे पा रहे जवाब
नगर निगम शिक्षक संघ के संयोजक सतेंद्र नागर ने बताया कि पिछले वर्ष लॉकडाउन से पहले जो छात्र दूसरी कक्षा में पढ़ता था वह ऑनलाइन पढ़ाई करते हुए चौथी कक्षा में पहुंच गया है। लेकिन उसका बुनियादी स्तर दूसरी कक्षा वाला ही बना हुआ है। पढ़ने से लेकर सवालों को हल करने में छात्रों के बीच परेशानी देखने को मिल रही है। ऑनलाइन कक्षा के लिए काफी छात्रों के पास संसाधनों का अभाव है तो कुछ ऑनलाइन कक्षा में सवाल पूछने पर नेटवर्क न आने का बहाना बताने लगते है।

पढ़ाई प्रभावित
दिल्ली पैरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष अपराजिता गौतम ने बताया कि स्कूलों के बार-बार बंद होने से छात्रों की पढ़ाई बुरी तरह से प्रभावित हो रही है। पढ़ाई के अलावा बच्चों में चिड़चिड़ापन और अकेलापन जैसी समस्या देखने को मिल रहा है। ऑनलाइन कक्षा के दौरान अगर शिक्षक कोई सवाल पूछ ले तो उसका ठीक ढंग से छात्र जवाब नहीं दे पा रहे हैं। ऐसी परिस्थिति में छात्रों की स्थायी पढ़ाई के लिए उचित कदम उठाने जरूरी है, जिससे पढ़ाई को लेकर निरंतरता बनी रहे।

अक्षर भी नहीं पढ़ सके छात्र
हाल ही में प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार कोविड महामारी के चलते सभी कक्षा के छात्रों को सीखने में हानि हुई है। यह जानकारी दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा साझा की गई थी। उस रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2019-20 की तुलना में शैक्षणिक सत्र 2020-2021 में 17 फीसदी से अधिक पहली कक्षा के छात्र अक्षर नहीं पढ़ सकें। यह केवल प्राथमिक कक्षा के छात्रों की बात नहीं है बल्कि बड़ी कक्षा के छात्रों में भी ऐसा देखने को मिला है। 14-18 वर्ष की उम्र वाले 80 फीसदी छात्रों का सीखने का स्तर कम रिपोर्ट हुआ है। जबकि 92 फीसदी छात्रों ने औसतन एक भाषाई क्षमता को खो दिया है।

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