तेल से हथियार तक… भारत का Iran-Israel के साथ है बड़ा कारोबार
नई दिल्ली : ईरान और इजरायल के बीच शुरू हुए संघर्ष से दुनिया में एक बार फिर रूस-यूक्रेन और इजरायल-हमास के बीच युद्ध की तरह चिंता बढ़ने लगी है. अगर इजरायल (Israel) जबावी हमला करता है और दोनों देशों में तनाव बढ़ता है, तो ग्लोबल सप्लाई चेन पर असर पड़ सकता है और इससे तमाम देश प्रभावित हो सकते हैं. भारत की अगर बात करें, तो दोनों ही देशों के साथ भारत का बड़ा व्यापार है और अगर आयात प्रभावित होता है, तो महंगाई बढ़ने का खतरा भी है. आइए जानते हैं ईरान और इजरायल से भारत क्या आता है और इन दोनों देशों को भारत क्या निर्यात करता है?
मिडिल ईस्ट में तनाव ने दुनिया की चिंता बढ़ाने का काम किया है. ऐसा इसलिए भी यहां से कच्चे तेल (Crude Oil) का आयात दुनियाभर में होता है. खासतौर पर भारत पर नजर डालें, तो देश दुनिया में कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है और अपनी 85 फीसदी से ज्यादा जरुरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर है. भारत अपनी जरूरत के कच्चे तेल का एक हिस्सा ईरान से भी लेता है. हालांकि, ईरान से होने वाले क्रूड ऑयल के आयात में गिरावट जरूर देखने को मिली है।
आंकड़ों पर नजर डालें, तो वित्त वर्ष 2014-15 के दौरान भारत-ईरान व्यापार 13.13 अरब डॉलर का था, जिसमें 8.95 अरब डॉलर का भारतीय आयात था और इसमें 4 अरब डॉलर से ज्यादा का तो कच्चे तेल का आयात किया गया था. साल 2019-20 में ईरान के साथ भारत के व्यापार में तेज गिरावट देखने को मिली थी. मुख्य रूप से क्रूड ऑयल का आयात 2018-19 में 13.53 अरब डॉलर की तुलना में कम होकर महज 1.4 अरब डॉलर रह गया था. भारत ने 2018-19 में लगभग 23.5 मिलियन टन ईरानी कच्चे तेल का आयात किया था।
ना केवल कच्चा तेल, बल्कि भारत ईरान से कई अन्य सामान भी आयात करता है और युद्ध की संभावना से इन जरूरी सामानों के बिजनेस को लेकर भी चिंता बढ़ गई है. बता दें कि ईरान से कच्चे तेल के अलावा सूखे मेवे, केमिकल और कांच के बर्तन भारत आते हैं।
वहीं भारत की ओर से ईरान पहुंचने वाले प्रमुख सामानों की बात करें, तो बासमती चावल का ईरान बड़ा आयातक है. ईरान वित्त वर्ष 2014-15 से भारतीय बासमती चावल का दूसरा सबसे बड़ा आयातक देश रहा है और वित्त वर्ष 2022-23 में 998,879 मीट्रिक टन भारतीय चावल खरीदा था. बासमती चावल के अलावा भारत ईरान को चाय, कॉफी और चीनी का भी निर्यात करता है।
अब जबकि ईरान और इजरायल में युद्ध बढ़ने की संभावना जताई जा रही है, तो इसका असर भारत के आयात और इकोनॉमी पर भी दिखाई दे सकता है. अगर कच्चे तेल की सप्लाई पर असर पड़ता है और तेल की कीमतों में बढ़ोतरी होती है, तो फिर देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर भी प्रभाव देखने को मिल सकता है. रूस और यूक्रेन युद्ध के समय कच्चे तेल की कीमतें आसमान पर पहुंच गई थीं और इजरायल-हमास युद्ध के समय भी ये 100 डॉलर के पार पहुंची थीं।
भारत का व्यापारिक भागीदार सिर्फ ईरान ही नहीं बल्कि इजरायल भी है. साल 2023 में भारत का इजरायल के साथ 89000 करोड़ रुपये का कारोबार रहा. भारत इजराइल को तराशे हुए हीरे, ज्वेलरी, कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स और इंजीनियरिंग सामान सप्लाई करता है।
वहीं इजरायल भारत को बड़ी मात्रा में सैन्य हथियार निर्यात करता है. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के आंकड़ों के मुताबिक, बीते 10 साल में भारत में इजरायल से रडार्स, सर्विलांस और लड़ाकू ड्रोन और मिसाइल्स समेत करीब 3 अरब डॉलर के सैन्य हार्डवेयर का आयात किया गया है. रूस, फ्रांस, अमेरिका के बाद सबसे ज्यादा हथियार इजरायल से भारत ही खरीदता है. हथियारों के अलावा भारत इजरायल से मोती, कीमती पत्थर, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण, उर्वरक, रासायनिक उत्पादों का भी आयात करता है।