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PM की डिग्री से सावरकर तक MVA में रार, उद्धव ठाकरे पहुंचे शरद पवार के द्वार

नई दिल्ली : महाविकास अघाड़ी यानी MVA के नेताओं में मतभेद का मुद्दा वरिष्ठ नेता शरद पवार के द्वार पर पहुंच गया है। खबर है कि शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के प्रमुख उद्धव ठाकरे कई मुद्दों को लेकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख से मिले हैं। हालांकि, दोनों ही नेताओं की तरफ से मीटिंग को लेकर जानकारी साझा नहीं की गई है। राकंपा, शिवसेना (UBT) और कांग्रेस के बीच मतभेद की खबरें आ रही हैं। एक मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने विरोधाभासी बयानों को लेकर चर्चा की है। इसके अलावा बैठक में एमवीए से जुड़े मुद्दे भी उठाए गए। चर्चा में राज्यसभा सांसद संजय राउत, एनसीपी नेता सुप्रिया सुले भी मौजूद रहीं।

खास बात है कि उद्धव भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री पर सवाल उठा चुके हैं। वहीं, हाल ही में राकंपा नेता अजित पवार ने इसे गलत बताया था। उन्होंने कहा था, ‘2014 में क्या लोगों ने प्रधानमंत्री मोदी को डिग्री के आधार पर वोट दिया था? यह उनका व्यक्तित्व था, जिसने उन्हें चुनाव जिताने में मदद की।’ उन्होंने कहा, ‘वह 9 सालों से देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उनकी डिग्री के बारे में पूछना उचित नहीं है। हमें उनसे महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर सवाल पूछने चाहिए।’ उन्होंने आगे सवाल किया, ‘अगर हमें उनकी डिग्री पर सफाई मिल जाएगी, तो क्या महंगाई कम हो जाएगी? क्या उनकी डिग्री के बारे में जानकर लोगों को नौकरी मिल जाएगी?’

पीएम की डिग्री के मुद्दे पर सीनियर पवार ने भी कहा था कि यह कोई राष्ट्रीय मुद्दा नहीं है। भाषा के अनुसार, रविवार को नासिक में संवाददाताओं से कहा, ‘जब बेरोजगारी, महंगाई और कानून व्यवस्था की स्थिति जैसे अधिक महत्वपूर्ण मुद्दे मौजूद हैं, तो क्या देश में किसी की शैक्षणिक डिग्री राजनीतिक मुद्दा होनी चाहिए।’

एक ओर जहां कांग्रेस सावरकर का नाम लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधती रही है। वहीं, उद्धव ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बयान पर कड़ी आपत्ति जता दी थी। साथ ही उन्होंने चेतावनी भी जारी कर दी थी। कहा जा रहा है कि शरद पवार खुद इस मुद्दे को हल करने के लिए कांग्रेस नेताओं से मुलाकात कर चुके थे। उन्होंने कहा था, ‘मैं राहुल गांधी को बताना चाहता हूं कि हम आपकी भारत जोड़ो यात्रा में साथ चले, क्योंकि वह लोकतंत्र को बचाने के लिए जरूरी था। लेकिन मैं राहुल गांधी से खुलकर कहता हूं कि सावरकर हमारे लिए भगवान की तरह हैं और हम उनका अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे…। हम लोकतंत्र को बचाने के लिए साथ हैं। लेकिन ऐसे बयान न दें और न ऐसे कदम उठाएं, जो दरार पैदा करें।’

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