GST की घंटी बजते ही काले कारोबारियों की आफत बढ़ी
नई दिल्ली : 1 जुलाई शनिवार का दिन देश की आजादी के बाद दूसरी आर्थिक आजादी के रूप में दर्ज हो गया.ध्यान देने वाली बात यह है कि जीएसटी की शुरुआत शनिवार को हुई इसलिए देश में कारोबार में काली कमाई करने वाले व्यापारियों की शनि की महादशा की शुरुआत भी हो गई. 30 जून की आधी रात को संसद के केन्द्रीय हॉल में जीएसटी का बजा घंटा काला कारोबार करने वाले लोगों के लिए आखिरी चेतावनी बन गया.बता दें कि देश में सिर्फ 85 लाख कारोबारी कर अदा करते हैं. यानी 125 करोड़ की आबादी वाले इस देश में 1 फीसदी से भी कम लोग कारोबार पर टैक्स देते हैं, क्योंकि भारत टैक्स बचाने, छिपाने और चुराने के लिए दुनियाभर में कुख्यात हैं. इसीलिए अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की सॉवरेन रेटिंग बेहद कम है. इसी कारण विदेशी निवेशक भारत में निवेश करने से कतराते हैं.
आइये आपको बताते है कि जीएसटी ने काले कारोबारियों पर कैसे नकेल कसी है.महत्वपूर्ण बात यह है कि जीएसटी में कारोबार का डिजिटलाइजेशन किया गया है. जीएसटी में टैक्स क्रेडिट व्यवस्था बनाई गई है.इसमें कारोबारी को अपने उत्पाद अथवा सेवा के इनवॉयस को प्रति माह जीएसटी पोर्टल पर अपलोड करना होगा. इस इनवॉयस को कारोबारियों के सप्लायर और वेंडर के आंकड़ों से जीएसटी नेटवर्क में लगा सॉफ्टवेयर मिलान करेगा. और यह मिलान सही पाए जाने पर कारोबारी को टैक्स क्रेडिट का लाभ मिलेगा. इस नियम के कारण देश में कारोबारियों को काले कारोबार से बाहर निकलने के लिए सिर्फ रजिस्टर्ड सप्लायर और वेंडर की ही मदद लेने की मजबूरी होगी, अन्यथा उनके सामने ग्राहक गंवाने की चुनौती बनी रहेगी.
यहां स्पष्ट कर दें कि 20 लाख तक का व्यवसाय कर मुक्त रहेगा. इस टर्नओवर से अधिक होने पर जीएसटी के दायरे में आएंगे. यही नहीं इस जीएसटी कानून को और प्रभावी बनाने के लिए सरकार ने जेल का प्रावधान भी किया है. इसके तहत यदि कोई कारोबारी गलत ढंग से कारोबार करता है या मुनाफाखोरी में लिप्त पाया जाता है तो उसे 5 साल की कठोर कारावास की सजा दी जा सकेगी.