बांग्लादेश में हिंदू 22 से घटकर रह गए हैं 8 फीसदी, राजनीतिक संकट में कट्टरपंथियों ने किए 200 से ज्यादा हमले
नई दिल्ली: बांग्लादेश की सत्ता से हसीना के बेदखल होने के बाद से यहां अल्पसंख्यकों विशेषकर हिंदू समुदाय के लोगों पर हमले की 200 से ज्यादा घटनाएं सामने आई हैं। अमरीका, ब्रिटेन सहित दुनिया के विभिन्न देशों में उनकी रक्षा को लेकर आवाज भी उठने लगी है। बता दें कि बांग्लादेश में आजादी के समय हिंदुओं की आबादी 22 फीसदी थी, जो अब घटकर 8 फीसदी के करीब आ चुकी है। एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले कई दशकों से बांग्लादेश से हिंदुंओं को पलायन के लिए मजबूर किया जा रहा है, इसी बीच उपजे राजनीतिक संकट के कारण वे अब मुस्लिम कट्टरपंथियों के निशाने पर हैं। हालांकि मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बनी कामचलाऊ सरकार दावा कर रही है कि वह हिन्दुओं सहित तमाम अल्पसंख्यकों पर हमलों को रोकने के लिए काम कर रही है।
हिंदुओं की आबादी 1.31 करोड़
बांग्लादेश सेंसस के मुताबिक देश में 15 करोड़ मुस्लिम हैं, जबकि हिंदुओं की आबादी 1.31 करोड़ के करीब है। इसके बाद दूसरी बड़ी आबादी बौद्ध धर्म को मानने वालों की 10 लाख है। यहां लगभग 5 लाख ईसाई और 2 लाख दूसरे धर्मों को मानने वाले भी हैं। इनके अलावा बहुत कम संख्या में सिख, यहूदी और नास्तिक भी हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले कुछ सालों में बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति काफी खराब हुई है। जानकारी के अनुसार, 1951 में इस क्षेत्र में हिंदुओं की आबादी करीब 22 फीसदी थी। उसके बाद से हिंदुओं की आबादी में लगातार गिरावट आती गई। जमात-ए-इस्लामी जैसे संगठनों ने हिंदुओं पर जमकर अत्याचार किया है। हिंदुओं को आर्थिक और धार्मिक स्तर पर परेशान किया गया है, जिसके कारण बड़ी संख्या में लोग पलायन को मजबूर हुए हैं।
खुद को इस्लामी राष्ट्र घोषित कर चुका है बांग्लादेश
कुछ रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया गया है कि अगले तीन दशकों में बांग्लादेश में हिंदुओं का वजूद समाप्त हो जाएगा। 1971 में पाकिस्तान से अलग होकर वजूद में आए बांग्लादेश ने 4 नवंबर 1972 को अपनाए गए संविधान में खुद को एक धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी और लोकतांत्रिक देश घोषित किया था, लेकिन वो ज्यादा समय तक धर्मनिरपेक्ष नहीं रहा और 7 जून, 1988 को उसने संविधान में बदलाव कर खुद को इस्लामी राष्ट्र घोषित कर दिया।
हिंदुओं पर ही क्यों हो रहे ज्यादा हमले
हमले तो सारे ही अल्पसंख्यकों पर हो रहे हैं, लेकिन हिंदुओं पर हमलों की घटनाएं ज्यादा सामने आ रही हैं। इसकी पहली वजह तो ये है कि हिंदू सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समूह है। हाल ही में कई हिंदू संगठनों ने दावा किया कि हसीना सरकार गिरने के बाद से अब तक दो सौ से अधिक हमलों हो चुके हैं। चूंकि उनकी आबादी ज्यादा है, तो चरमपंथी भी सबसे पहले उन्हीं को टारगेट करते हैं।
बांग्लादेश में बढ़ता कट्टरपंथ
दूसरी वजह बांग्लादेश में बढ़ता कट्टरपंथ है। बांग्ला भाषा के आधार पर वे पाकिस्तान से अलग तो हो गए, लेकिन जल्द ही इस्लामिक मुल्क की मांग दिखने लगी। हिंदुओं की बड़ी आबादी इसमें रोड़ा थी। यही कारण है कि मुक्ति संग्राम के दौरान हिंदुओं पर पाकिस्तान और बांग्लादेश दोनों ही हमलावर रहे। अब भी बांग्लादेश के कट्टरपंथी हिंदू-मेजॉरिटी वाले भारत को दुश्मन की तरह देखते हैं और गाहे-बगाहे वहां से भारतीय उत्पादों के बहिष्कार की खबरें भी आती रहती हैं।
हिंदुओं की जमीनों पर कब्जा
रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश में साल 2021 तक एक भूमि कानून वैस्टेड एक्ट लागू था। इसके तहत सरकार के पास यह अधिकार था कि वह दुश्मन संपत्ति को अपने कब्जे में ले ले। इस कानून की सबसे ज्यादा मार हिंदुओं को झेलनी पड़ी। इस कानून से बांग्लादेश का करीब-करीब हर हिंदू परिवार प्रभावित हुआ। भले ही इस कानून में कुछ संशोधन किया गया हो लेकिन अभी भी इसके चलते हिंदुओं का पलायन हो रहा है।