हिंदुत्व और कानून-व्यवस्था होगा मुख्य मुद्दा, CM योगी रहेंगे पार्टी का चेहरा
लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी की पिछले दिनों दिल्ली में हुई राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक से निकले निहितार्थ उत्तर प्रदेश के लिए काफी अहम नजर आ रहे हैं। संकेतों में ही सही, लेकिन भाजपा हाईकमान ने कुछ महीनों बाद होने वाले विधानसभा चुनाव की तस्वीर को लेकर बहुत कुछ साफ करने की कोशिश की है। नेतृत्व से लेकर नीति और निर्णयों तक पर पार्टी का नजरिया लोगों के सामने रख दिया है। बता दिया है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा हिंदुत्व, कानून-व्यवस्था और योगी आदित्यनाथ के चेहरे के साथ ही वह मैदान में उतरेगी।
राजनीति में प्रतीकों का बड़ा महत्व होता है। भाजपा हाईकमान ने राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में उत्तर प्रदेश से सीएम योगी को बुलाकर तथा प्रदेश से राष्ट्रीय कार्यसमिति के शेष सदस्यों को वर्चुअली जोड़कर तथा योगी से राजनीतिक प्रस्ताव प्रस्तुत कराकर इसी प्रतीकात्मक रणनीति पर काम किया है। किसी भी राष्ट्रीय राजनीतिक दल का राजनीतिक प्रस्ताव वह दस्तावेज होता है जो उस पार्टी की रीति नीति को ध्वनित करता है। इसको देखते हुए जिस तरह योगी को दिल्ली बुलाकर भाजपा ने अपनी शीर्ष बैठक में राजनीतिक प्रस्ताव रखवाया उसके निहितार्थ महत्वपूर्ण हैं।
भाजपा हाईकमान ने इस बहाने यह बताने की कोशिश की है कि पार्टी योगी की राजनीतिक दिशा व दृष्टि के साथ पूरी तरह खड़ी है। मतलब, यूपी चुनाव में हिंदुत्व और मुख्तार अंसारी से लेकर अतीक अहमद जैसे आपराधिक छवि वालों के साथ प्रदेश सरकार के रवैये एवं मुकीम काला व विकास दुबे के एनकाउंटर जैसे कामों से कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर किए गए उनके फैसले पूरी तरह ठीक हैं। निहितार्थ साफ है कि योगी की नेतृत्व क्षमता पर दिल्ली का भरोसा बढ़ा है। इसलिए चुनाव में भाजपा उनके काम और चेहरे के साथ ही मैदान में उतरेगी।
राजनीतिक शास्त्री प्रो. एस. के. द्विवेदी कहते हैं कि योगी आदित्यनाथ ने अपने कार्यकाल में किए कामों से न सिर्फ भाजपा की राजनीति के लिहाज से जरूरी हिंदुत्व के एजेंडे को मजबूत किया है बल्कि कैराना के पलायन के मुद्दे सहित कानून-व्यवस्था पर निर्णयों पर भी अपनी नेतृत्व क्षमता साबित की है। इसके साथ ही कोरोना संकट के दौरान लोगों की दवाई व रोजी-रोटी के लिए जिस तरह वह सक्रिय दिखे और काम किए, उससे भी उन्होंने अपनी क्षमता साबित कर दी है। साथ ही 2017 में उन पर सवाल खड़े करने वालों को भी सटीक जवाब दे दिया है। उनका संन्यासी होना हिंदुत्व के एजेंडे पर उन पर लोगों का भरोसा ज्यादा ही बढ़ाता है। ऐसे में भाजपा नेतृत्व के लिए भी जरूरी था कि वे लोगों को अगली सरकार की वरीयता और नेतृत्व करने वाले चेहरे के बारे में अभी से स्पष्ट संदेश दे दें।
दरअसल, भाजपा के हिंदुत्व के एजेंडे पर कोई संदेश यूपी से ही निकलता है। श्रीराम जन्मभूमि, श्रीकृष्ण जन्मभूमि और काशी विश्वनाथ की धरती होने के साथ हिंदू समाज की आस्था से जु़ड़े अन्य तमाम प्रमुख स्थल और नदियां भी यहीं हैं। सिर्फ हिंदू आस्था ही नहीं बल्कि जैन पंथ के प्रवर्तक ऋषभ देव, बुद्ध और कबीर की धरती भी उत्तर प्रदेश ही है। योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बनने के बाद जिस तरह इनसे जुड़े स्थलों के विकास उनके सांस्कृतिक सरोकारों के साथ काम किया है उसके चलते केंद्रीय नेतृत्व को समग्र हिंदुत्व के समीकरणों पर देश भर में काम करने के साथ चुनावी लड़ाई को 60 बनाम 40 बनाने में सहूलियत हुई है। इसलिए हाईकमान का योगी के नेतृत्व पर भरोसा बढ़ना स्वाभाविक है। राजनीति में संदेशों का काफी महत्व होता है। जाहिर है कि योगी से सिर्फ उत्तर प्रदेश के नहीं बल्कि दूसरे राज्यों के समीकरण साधने में भी भाजपा को मदद मिलेगी।