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जानें मीराबाई चानू की ओलंपिक्स ईयररिंग के पीछे की कहानी

स्पोर्ट्स डेस्क : टोक्यो ओलंपिक में 49 किग्रा में 202 किग्रा (87 किग्रा + 115 किग्रा) भार उठाकर भारत की महिला वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने शनिवार को सिल्वर मैडल जीता है. ये वेटलिफ्टिंग में चानू ने भारत को 21 वर्ष के बाद मेडल दिलाया. उनकी बदौलत भारत मेडल तालिका में संयुक्त रुप से 12वें स्थान पर है.

चानू से पहले कर्णम मल्लेश्वरी ने सिडनी ओलंपिक 2000 में वेटलिफ्टिंग में कांस्य मैडल अपने नाम किया था. मीराबाई चानू ओलंपिक्स रिंग के डिजाइन की ईयररिंग पहनती हैं, जो रियो ओलंपिक के बाद उनकी मां ने उन्हें दी थी. पांच वर्ष पहले उनकी मां ने अपने गहने बेचकर ये ईयररिंग उन्हें गिफ्ट में दी थी.

उन्हें उम्मीद थी कि ये रिंग रियो ओलंपिक में उनके लिए ‘गुड लक’ साबित होंगी. मीराबाई चानू की मां तोम्बी लीमा ने देखा कि मैच के दौरान उनकी बेटी ने उनकी दी ईयररिंग पहनी है तो वो अपने आंसू रोक नहीं सकी. तोम्बी लीमा ने एक समाचार एजेंसी से बोला कि, मैंने टीवी पर ईयररिंग देखी, जो मैंने ये उसे 2016 में रियो ओलंपिक से पहले दी थी.

मैंने मेरे पास पड़े सोने के गहने और अपनी बचत से इन्हें बनवाया था जिससे कि उसका भाग्य चमके और उसे सफलता मिले. उन्होंने आगे बोला कि इन्हें देखकर मेरे आंसू निकल गए और जब उसने मैडल जीता तब भी. मीराबाई के पिता (सेखोम कृति मेइतेई) की आंखों में भी आंसू थे, खुशी के आंसू. उसने अपनी कड़ी मेहनत से सफलता मिली.

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