‘सपा को आगे बढ़ाने में मेरा भी 25 फीसदी योगदान’, शिवपाल यादव ने अखिलेश से हक मांगकर दिए वापसी के संकेत
यूपी विधानसभा चुनावमें जीत के इरादे से प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल यादव ने एक बार फिर से घर वापसी के संकेत दिए हैं. शिवपाल का कहना है कि सपा को आगे बढ़ाने में अगर नेताजी का 75 फीसदी योगदान है तो 25 प्रतिशत उनका भी है. उन्होंने भतीजा अखिलेश यादव पर कहा कि अब वह बड़े आदमी हैं. इसीलिए उनका 25 फीसदी हक उन्हें वापस करें तो वह फिर से सपा में वापसी के लिए तैयार हैं. आगामी चुनाव में जीत हासिल करने के लिए शिवपाल यादव सामाजिक परिवर्तन रथ यात्रा निकाल रहे हैं.
आज गाजियाबाद पहुंचे शिवपाल ने कहा कि इस दौरा में आर्थिक -सामाजिक गैरबराबरी बहुत बढ़ गई है. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की बुनियाद सामाजित न्याय और आर्थिक बराबरी में होती है. उन्होंने बीजेपी सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि केंद्र में सत्ता में बैठे लोगों ने बड़ी ही चालाकी दिखाते हुए पिछड़ों की संख्या ही पता नहीं लगने दी. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि आखिरी बार देश में जाति आधारित जनगणना 1931 में हुई थी. शिवपाल ने कहा कि 1931 की जातीय जनगणना के आधार पर ही 2021 में आरक्षण दिया जा रहा है.
सिर्फ कॉरपोरेट को फायदा पहुंचा रही सरकार
उन्होंने सरकार से एक बार फिर से जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी करने का अपील की. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि यह सरकार सिर्फ नामकरण और निजीकरण तक ही सीमित है. सरकार में सिर्फ कॉरपोरेट को ही फायदा पहुंच रहा है. शिवपाल यादव ने आरोप लगाया कि निजीकरण से कमजोर और समाज के वंचित तबके पर नकारात्मक असर पड़ रहा है. उन्हें रिजर्वेशन का फायदा नहीं मिल रहा है. शिवपाल यादव ने निजी क्षेत्र में आरक्षण की मांग की.
शिवपाल ने दिए सपा में वापसी के संकेत
इसके साथ ही शिपवाल यादव ने यूपी में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी गठबंधन की सरकार बनने का बात कही. उन्होंने बीजेपी को सत्ता से हटाने के लिए एक जैसी विचारधारा वाले दलों से साथ आने की अपील की. उन्होंने साफ तौर पर सपा के साथ गठबंधन की पहल करते हुए कहा कि गठबंधन में वह सपा को प्राथमिकता देंगे. शिवपाल यादव ने गाजियाबाद में डीजल-पेट्रोल की बढ़ती कीमतों के साथ ही किसानों और बेरोजगारी का मुद्दा उठाया. सरकार पर तंज कसते हुए शिवपाल यादव बोले कि सरकार किसानों की बात सुनने की बजाय उनपर लाठीचार्ज कराती है. उन्हें वाहनों से कुचला जाता है. इसके साथ ही उन्होंने दलितों, पिछड़ों और मुसलमानों और गरीब सवर्णो के लिए निजी क्षेत्र में आरक्षण की मांग की.