जेनेवा: इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (International Energy Agency – IEA) ने बताया कि पिछले साल यानी 2021 में वैश्विक स्तर पर कार्बन डाईऑक्साइड (Carbon Dioxide – CO2) के उत्सर्जन में 6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. यानी 36.3 बिलियन मीट्रिक टन. यह एक रिकॉर्ड है. इससे पहले कभी इतनी ज्यादा मात्रा में CO2 कभी नहीं निकला.
IEA ने कहा कि वैश्विक स्तर पर कार्बन डाईऑक्साइड (Carbon Dioxide – CO2) अभी तक का रिकॉर्ड 2 बिलियन मीट्रिक टन था. जो कि एक इतिहास था. लेकिन पिछली बार यह इतिहास भी खत्म हो गया. समझ में ये नहीं आता कि कोरोना काल में लॉकडाउन की वजह से प्रदूषण का स्तर कम होना चाहिए था. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इसका मतलब ये है कि बिजली उत्पादन के क्षेत्र में कोयले की मांग बढ़ गई है. कोयले की वजह से होने वाला प्रदूषण ही कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा को बढ़ाता है.
कोयले की खपत प्राकृतिक गैस की कमी की वजह से बढ़ी
साल 2021 में ऊर्जा की मांग को पूरा करने के साथ-साथ विपरीत मौसम और ऊर्जा बाजार की स्थिति को देखते हुए कोयले की मांग बढ़ी. कोयले की मांग बढ़ी क्योंकि प्राकृतिक गैसों की कीमत बढ़ी हुई थी. रीन्यूएबल ऊर्जा के बदले कोयले की खपत ज्यादा की गई. ने से कार्बन डाईऑक्साइड (Carbon Dioxide – CO2) की मात्रा भी वायुमंडल में बढ़ गई.
China ने किया सबसे ज्यादा CO2 उत्सर्जन
IEA के मुताबिक वैश्विक स्तर पर कार्बन डाईऑक्साइड (Carbon Dioxide – CO2) के उत्सर्जन के मामले में सबसे बड़ी हिस्सेदारी चीन की है. चीन में साल 2019 से 2021 के बीच कार्बन डॉईऑक्साइड का उत्सर्जन 75 करोड़ मीट्रिक टन बढ़ा है. चीन इकलौता ऐसा देश था, जिसने साल 2020 और 2021 के बीच आर्थिक विकास हासिल की है. अन्य किसी भी देश ने कोरोना काल के चलते नुकसान बर्दाश्त किया है. चीन ने पिछले साल पूरी दुनिया का 33 फीसदी कार्बन डाईऑक्साइड (Carbon Dioxide – CO2) किया है.