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मायावती ने खेला आरक्षण कार्ड , सवर्णों के लिए मांगा रिजर्वेशन

mayawati-1429861773बसपा सुप्रीमो मायावती ने संसद में आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को आरक्षण देने की बात कर राजनीति दलों की धड़कनें बढ़ा दी हैं। मायावती के इस बयान को मिशन 2017 की तैयारी के तौर पर देखा जा रहा है।अगर मायावती इस मुद्दे को सवर्णों के बीच भुनाने में कामयाब हुई तो आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्ण बसपा के साथ खड़े हो सकते हैं और अन्य दलों के सभी समीकरण धराशायी हो सकते हैं।

बिहार विधानसभा चुनाव में आरक्षण पर संशय के मुद्दे ने ही भाजपा के मंसूबों पर पानी फेर दिया था और वहां महागठबंधन की शानदार जीत हुई। बसपा आरक्षण की धार का असर बिहार चुनाव में देख चुकी है, इसीलिए अब मायावती ने संसद में कमजोर सवर्णों को आरक्षण देने के मुद्दे को हवा दे दी है।बसपा के एक पूर्व अध्यक्ष ने बताया मायावती ने यह मुद्दा सोच-समझकर उठाया है। यूपी में कमजोर सवर्णों को आरक्षण देने की मांग को लेकर पार्टी के नेता और कार्यकर्ता सड़कों पर उतरने को तैयार हैं।

यह मुद्दा बसपा के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है। कई सियासी दल इस मुद्दे को काफी संवेदनशील मानते हैं और बड़े ही सधे अंदाज में इसका जवाब भी दे रहे हैं।

वहीं दूसरी ओर मायावती के सवर्णों को आरक्षण की मांग पर भाजपा प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि मायावती का यह बयान तब क्यों नहीं आया, जब वह 10 वर्षों तक केंद्र में कांग्रेस की सरकार का समर्थन कर रही थीं।

यह एक संवेदनशील मुद्दा है, इस पर इससे ज्यादा कुछ भी बोलना जल्दबाजी होगी। राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. मसूद अहमद ने भी मायावती के इस बयान को काफी संवेदनशील करार दिया। उन्होंने कहा कि यह एक संवेदनशील मुद्दा है।

आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को अगर आरक्षण मिलता है तो यह अच्छी बात होगी। वहीं समाजवादी पार्टी ने मायावती पर उनकी ही बात को आगे बढ़ाने का आरोप लगाया है। समाजवादी पार्टी के नेता डॉ. सीपी राय ने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान ही सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने अपने घोषणा-पत्र में अगड़ी जाति आयोग गठित करने की बात कही थी।

 पार्टी हमेशा इसकी पक्षधर रही है कि समाज में बड़ी जातियों के गरीब लोगों को आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए।

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