दस्तक ब्यूरो, देहरादून
उत्तराखंड सरकार के अस्तित्व में आने के साथ ही यहां लगातार राजनीतिक अस्थिरता की शुरुआत हो गई थी। राज्य गठन के समय मुख्यमंत्री बनाए गए नित्यानंद स्वामी को कुछ ही महीनों में इस्तीफा देना पड़ा और भगत सिंह कोश्यारी को कमान सौंपी गई। इसके बाद अब तक केवल नारायण दत्त तिवारी को ही पांच साल का कार्यकाल पूरा करने का मौका मिला।
वहीं अब तक हालात पर नजर दौड़ाएं तो वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इसी राह पर चल रहे हैं, जो आने वाले सालों में भी अपना कार्यकाल पूरा करेंगे, बल्कि प्रदेश को भी विकास की नई बुलंदियों में ले जाएंगे। सीएम धामी की राज्य की सेवा करने की रफ्तार से यह भी पता चलता है कि एनडी तिवारी के बाद वे ही ऐसे मुख्यमंत्री हैं जो प्रदेश में उद्योगों का जाल बिछाना चाहते हैं। अब तक हर व्यक्ति को यही कहता सुना जाता है कि एनडी तिवारी ही ऐसे सीएम थे, जिन्होंने प्रदेश में हरिद्वार, यूएसनगर और देहरादून में सिडकुल बनाकर उद्योगों को बढ़ावा दिया। अब जिस प्रकार से ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के जरिये प्रदेश में निवेश आने वाला है उससे तो यही कहा जा सकता है कि उद्योग लाने के क्षेत्र में भी प्रदेश में नया रिकार्ड बनेगा। इससे प्रदेश में बेरोजगारी भी कम हो सकेगी।
दरअसल, उत्तराखंड राज्य अब तक राजनीतिक अस्थिरता का पर्याय बना है, लेकिन सुकून की बात यह है कि पिछले एक साल में मुख्यमंत्री धामी को किसी तरह के राजनीतिक झंझावात का सामना नहीं करना पड़ा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में सरकार सधे कदमों से आगे बढ़ती रही। समान नागरिक संहिता का विषय महत्वपूर्ण पड़ाव पर पहुंच गया है, तो भर्ती परीक्षाओं में पारदर्शिता और भ्रष्टाचार पर नकेल के लिए सरकार ने इसी वर्ष सख्त नकलरोधी कानून बनाया। वर्षों से चली आ रही राज्य आंदोलनकारियों को आरक्षण की मांग पर सरकार विधेयक लेकर आई और जल्द इस पर अंतिम फैसला सामने आने वाला है। शीर्ष नेतृत्व के आशीर्वाद के साथ धामी को न पार्टी के अंदर से कोई चुनौती मिली और न विपक्ष सरकार को घेरने में कामयाब हो पाया। यही नहीं, डबल इंजन का दम भी विभिन्न योजनाओं के माध्यम से राज्य में दिखने लगा है। अलबत्ता, इतना जरूर रहा कि मंत्रिमंडल के रिक्त पदों को भरने को लेकर वर्षभर महज चर्चा ही चली, बात इससे आगे नहीं बढ़ पाई।
उत्तराखंड जन्म के समय से ही किस तरह राजनीतिक स्थिरता को तरसता रहा है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पुष्कर सिंह धामी वर्तमान में राज्य के 12वें मुख्यमंत्री के रूप में सरकार की कमान थामे हुए हैं। गुजरा वर्ष इस दृष्टिकोण से बिल्कुल अलग रहा, क्योंकि इस अवधि में ऐसा कोई घटनाक्रम सामने नहीं आया, जिससे स्थिरता को खतरा पैदा हुआ हो। गुजरे वर्ष अधीनस्थ सेवा चयन आयोग और राज्य लोक सेवा आयोग की भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ी के मामले सामने आए। सरकार का रुख भ्रष्टाचार से जुड़े इन मामलों में सख्त रहा। अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के एक पूर्व अध्यक्ष व पूर्व परीक्षा नियंत्रक की गिरफ्तारी हुई, तो अध्यक्ष व सचिव को पद छोड़ना पड़ा। राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष ने कार्यकाल पूर्ण होने से पहले ही इस्तीफा दे दिया। सरकार ने इसके बाद भर्ती परीक्षाओं की शुचिता व पारदर्शिता के बरकरार रखने के लिए सख्त नकलरोधी कानून बनाया।
राज्याधीन सेवाओं में स्थानीय महिलाओं को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण के लिए सरकार विधानसभा में विधेयक लेकर आई, जो अब कानून बन गया है। राज्य आंदोलनकारियों व उनके आश्रितों को सरकारी सेवाओं में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण की लंबे समय से चली आ रही मांग पर भी सरकार गंभीरता से आगे बढ़ी है। इस संबंध में विधानसभा में प्रस्तुत विधेयक को प्रवर समिति को सौंपा गया। विधेयक पर समिति अपना काम पूरा कर चुकी है और अब इसे विधानसभा अध्यक्ष को सौंपा जा रहा है। राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए पिछले वर्ष गठित विशेषज्ञ समिति का कार्यकाल तीन बार बढ़ाया गया और उम्मीद है कि जल्द समिति समान नागरिक संहिता का प्रारूप सरकार को सौंप देगी।
संदेश साफ है कि मुख्यमंत्री सधे कदमों से आगे बढ़ने के साथ ही महत्वपूर्ण निर्णय भी ले रहे हैं, लेकिन असल चुनौती तो जनता की आकांक्षाओं व अपेक्षाओं पर खरा उतरने की है। विकास के मोर्चे पर देखें तो केन्द्र पोषित योजनाओं के बूते सड़क, रेल, हवाई कनेक्टिविटी के साथ ही रोप वे कनेक्टिविटी की ओर मजबूती से कदम बढ़ रहे हैं। विभिन्न बड़ी योजनाएं भी केन्द्र के सहयोग से संचालित हो रही हैं, लेकिन राजधानी से लेकर सुदूर अंचलों तक धरातल पर मूलभूत सुविधाओं के विस्तार की दिशा में बहुत कुछ किया जाना बाकी है। खासकर, पहाड़ों में शिक्षा, स्वास्थ्य व आजीविका के साधन जैसे बड़े विषय मुंह बाए खड़े हैं। गांवों से हो रहे पलायन के मूल में भी ये विषय बड़े कारक हैं।
यद्यपि, औद्योगिक विकास के जरिये बेरोजगारी दूर करने की दिशा में राज्य में अधिकाधिक निवेश खींचने को सरकार प्रयासरत है, लेकिन असली चुनौती उद्योगों को पहाड़ चढ़ाने और वहां की परिस्थितियों के अनुरूप उद्योग स्थापना की है। यही नहीं, समूचा उत्तराखंड आपदा की दृष्टि से संवेदनशील है। ऐसे में हरित श्रेणी के उद्योगों के साथ ही सड़कों का भी ग्रीन तकनीकी से निर्माण कराना होगा। सरकार ने इसे अपनी प्राथमिकता में भी रखा है। देखने वाली बात होगी कि सरकार इसमें कितना सफल हो पाती है। राजनीतिक दृष्टिकोण से देखें तो काफी समय बाद ऐसी स्थिति आई जब सत्तारूढ़ दल अंतर्कलह से लगभग मुक्त दिखाई दिया। संभवतया इसका एक बड़ा कारण यह कि मुख्यमंत्री धामी को शीर्ष नेतृत्व का वरदहस्त हासिल है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा समय-समय पर धामी की कार्यशैली की सराहना करते रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी के विजन के अनुरूप ही सरकार ने उत्तराखंड को वर्ष 2025 तक श्रेष्ठ राज्य बनाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए वह सुविचारित रणनीति के साथ आगे बढ़ रही है।
इस वर्ष बागेश्वर उपचुनाव में मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में भाजपा को जीत मिली। आने वाले दिनों में लोकसभा चुनाव के साथ ही निकाय चुनाव की चुनौती सरकार के सामने रहेगी। इसके लिए पार्टी और सरकार, दोनों ने ही कमर कसी है। ऐसे में इनके नतीजों पर भी हर किसी की नजर रहेगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद भी कहते हैं कि गत 23 वर्षों में राज्य ने कई उपलब्धियां हासिल की हैं लेकिन अभी बहुत आगे जाना है, उत्तराखंड को एक प्रगतिशील, उन्नत एवं हर क्षेत्र में आदर्श राज्य बनाना है। वे कहते हैं कि पर्वतीय क्षेत्रों में निवेश के लिए पर्यटन, आयुष व वेलनेस, आइटी, सौर ऊर्जा सहित सेवा क्षेत्र पर विशेष फोकस किया जा रहा है। सीमांत तहसीलों के विकास के लिए मुख्यमंत्री विकास योजना शुरू की गई है। राज्य में निवेश की संभावनाओं के मद्देनजर वैश्विक निवेशक सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। इसके लिए अभी तक देश-विदेश में हुए रोड शो में 1.24 लाख करोड़ के निवेश करार हुए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने आंदोलनकारियों को सरकारी सेवा में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने का निर्णय लिया है। राज्य सरकार अब आंदोलनकारियों को एक समान पेंशन देने के लिए भी कार्ययोजना तैयार कर रही है। राज्य में खेलों व खिलाड़ियों के प्रोत्साहन को नीतियां बनाई गई हैं और बजटीय प्रावधान किया गया है।
सरकार ने युवा प्रतिभाओं के साथ न्याय करने के लिए देश का सबसे सख्त नकलरोधी कानून लागू किया है। सरकारी नौकरियों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के साथ ही स्वरोजगार को प्रोत्साहित किया जा रहा है। स्टार्ट अप को बढ़ावा देने के लिए 200 करोड़ रुपये का वेंचर फंड बनाया गया है। भ्रष्टाचार पर प्रभावी अंकुश लगाने को 1064 वेब एप लांच किया गया है। समान नागरिक संहिता को लागू करने के लिए प्रभावी कदम उठाए गए हैं। प्रदेश में नई शिक्षा नीति लागू कर सभी को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए मिशन मोड पर कार्य किया जा रहा है। राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं पर विशेष जोर दिया गया है। राज्य सरकार का संकल्प वर्ष 2025 तक उत्तराखंड को ड्रग फ्री तथा वर्ष 2024 तक क्षय रोग मुक्त प्रदेश बनाने का है।