2019 से 2024 के बीच भारत ने किया मालदीव के 1000 सिविल सेवकों का क्षमता निर्माण
नई दिल्ली (विवेक ओझा): भारत सरकार की एक स्वायत्त शीर्ष संस्था, राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (एनसीजीजी) ने विदेश मंत्रालय के साथ साझेदारी में मालदीव के सिविल सेवकों के लिए 32वां क्षमता निर्माण कार्यक्रम हाल ही में सफलतापूर्वक पूरा किया। इस एक साप्ताहिक कार्यक्रम का निर्धारण 5 फरवरी, 2024 से 9 फरवरी, 2024 तक के लिए किया गया था, जिसमें 40 शिक्षाविदों ने भाग लिया। वर्ष 2019 में, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की मालदीव की राजकीय यात्रा के दौरान, एनसीजीजी और मालदीव के सिविल सेवा आयोग (सीएससी) के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए, जिसमें आगामी 5 वर्षों में एनसीजीजी में मालदीव के 1,000 सिविल सेवकों की क्षमता निर्माण गतिविधियों का प्रावधान रखा गया था।
यद्यपि कोविड-19 महामारी के कारण, उत्पन्न परिस्थितियों के रहते हुए भी एनसीजीजी और मालदीव के सिविल सेवा आयोग के बीच भारत-मालदीव समझौता ज्ञापन के तहत, एनसीजीजी ने वर्ष 2019-2024 की अवधि में 1000 मालदीव सिविल सेवकों के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित कर विशेष उपलब्धि प्राप्त की है।
मालदीव क्षमता निर्माण कार्यक्रमों के दौरान एनसीजीजी द्वारा कार्यक्रम में प्रतिभागी अधिकारियों की आवश्यकताओं के अनुरूप मॉड्यूल डिजाइन किया जा रहा है जिसमें मुख्यत: देश में ई-गवर्नेंस, डिजिटल इंडिया, सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु सार्वजनिक सेवाओं के सार्वभौमिकरण, सेवा वितरण में आधार का उपयोग, सार्वजनिक शिकायत निवारण तंत्र और तटीय क्षेत्र के विशेष संदर्भ में आपदा प्रबंधन, भारत मालदीव संबंध, फिनटेक और समावेशन, सार्वजनिक नीति और कार्यान्वयन, प्रशासन में नैतिकता, और आपदा प्रबंधन में प्रौद्योगिकी का लाभ प्राप्त करने, जलवायु परिवर्तन और जैव-विविधता पर इसका प्रभाव, व्यवहार परिवर्तन प्रबंधन, तटीय क्षेत्र में कृषि-आधारित कार्य, भारत में डिजिटल स्वास्थ्य, नेतृत्व, समन्वय और संचार कौशल, ई-गवर्नेंस और डिजिटल भारत, लिंग और विकास, अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में वर्ष 2030 तक सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) की प्राप्ति का दृष्टिकोण शामिल है।