INS खंडेरी रडार को भी चकमा देने में है माहिर, पानी के अंदर छुड़ा देगी दुश्मन के छक्के
नई दिल्ली: भारतीय नौसेना ने स्कार्पियन-क्लास की दूसरी पनडुब्बी आईएनएस खंडेरी (INS Khanderi) को अपने बेड़े में शामिल कर लिया है. कई आधुनिक तकनीकों से लैस पनडुब्बी खंडेरी को ढाई साल से अधिक समय तक कई कठोर समुद्री परीक्षणों से गुजरना पड़ा था. इस आईएनएस खंडेरी की कई खासियत हैं जो इसे देश मे मौजूद सबमरीन्स में से सबसे बेहतर और उन्नत बनाती हैं. यह सबमरीन आज के दौर में मौजूद सबसे एडवांस टेक्नलॉजी से लैस है. इसे ‘साइलेंट किलर’ भी कहा जा रहा है.
नाम के पीछे की कहानी
– मराठा शासक शिवाजी के किले खंडेरी नाम पर इस पनडुब्बी को नामकरण किया गया है. मराठा सैनिकों ने 17 शताब्दी के अंत में समुद्र पर अपना प्रभुत्व जमाया था. – छत्रपति शिवाजी नौसेना की ताकत के महत्व को समझने वाले पहले भारतीय शासक माने जाते हैं.
फ्रांस से ली गई ये तकनीक
– पनडुब्बी खंडेरी के भीतर एडवांस हथियार हैं जो युद्ध जैसे समय में आसानी से दुश्मनों के छक्के छुड़ा सकता हैं. जैसे सबसे ज़रूरी इसके पीछे के हिस्से में magnetised propulsion मोटर लगाई गई है. इस तकनीक को फ्रांस से लिया गया है.
– इसकी वजह से पनडुब्बी के अंदर से आने वाली आवाज़ को बाहर नहीं आने दिया जाता है.
– इससे दुश्मन के खोजी जहाज या सबमरीन या वॉर वेसल्स को इसकी जानकारी ठीक से नहीं मिल पाती है.
बैटरी चालित है
– इसके भीतर 360 बैटरी सेल्स हैं. हर सेल्स का वजन 750 किलो के करीब है. इसके अलावा दो 1250 केडब्ल्यू डीजल इंजन हैं.
45 दिन तक पानी के भीतर रह सकती है
– जनरेटर से चार्ज करके बैटरियों के दम पर आईएनएस खंडेरी को समुद्र के भीतर पानी में 45 दिनों तक रखा जा सकता है.
12 हजार किमी का रास्ता तय कर सकती है
– इन्हीं बैटरियों के दम पर आईएनएस खंडेरी एक बार पानी में उतरने पर 6500 नॉटिकल माइल्स यानी करीब 12000 किमी का रास्ता तय कर सकती है.
– ये सबमरीन 350 मीटर तक की गहरायी में भी जाकर दुश्मन का पता लगाती है. इसके टॉप स्पीड की बात करें तो ये 22 नोट्स है.
टोरपीडो और मिसाइल दागने में सक्षम
– आईएनएस खंडेरी दो पेरिस्कोप से लैस है. इस पनडुब्बी के ऊपर लगाए गए हथियारों की बात की जाए तो इस पर 6 टॉरपीडो ट्यूब्स बनाई गई हैं, जिनसे टोरपीडो को फायर किया जाता है.
– इसके अलावा इसमें एक वक्त में या तो अधिकतम 12 तोरपीडो आ सकते हैं या फिर एन्टी शिप मिसाइल SM39.
40 लोगों के रहने की क्षमता
– पनडुब्बी में कौन-सा नौसेना का सदस्य कब जाएगा? ये इस बात पर निर्भर करता है कि वह कौन-से मिशन पर जाने वाला है.
– इस सबमरीन पर करीब 40 लोगों का क्रू एक साथ काम कर सकता है जिनमें से 8 से 9 अफसर होते हैं.
इन सावधानियों का रखना पड़ता है ध्यान
– सबमरीन में जगह कम होने के कारण कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है.
– सबमरीन में किचन को गैली कहा जाता है.
– यहां खाना बनाने में भी काफी सावधानी बरतनी पड़ती है
– खाना बनाते वक्त यहां छौंका नहीं लगा सकते, क्योंकि धुएं को बाहर जाने का रास्ता नहीं मिल पाता.
– इसके अलावा जवानों के सोने के लिए अलग-अलग कंपार्टमेंट होते हैं.
– 3-3 घंटे की ड्यूटी के बाद जवान 6 घंटे का ब्रेक लेते हैं.
– जहां तक हो सके पानी का इस्तेमाल कम किया जाता है.
पहले भी खंडेरी की सेवाएं ले चुका देश
– आपको बता दें कि इससे पहले भी आईएनएस खंडेरी ने देश को अपनी सेवाएं दी हैं.
– जब साल 1968 में आईएनएस खंडेरी को कमीशंड कराया गया था.
– साल 1971 की भारत पाकिस्तान की लड़ाई में इस सबमरीन को देश के पूर्वी सीबोर्ड पर तैनात किया गया था और फिर अक्टूबर 1989 में इसे डीकमीशंड कर दिया गया. – अब इस सेकंड कलवरी क्लास सबमरीन को यही नाम दिया गया है.