उत्तराखंड

उत्तराखंड में पहली बार होगा अंतरराष्ट्रीय आयुर्वेद सम्मेलन, मिलेगी नई पहचान

देहरादून ( विवेक ओझा ) : देवभूमि उत्तराखंड अपने अध्यात्म और आयुर्वेद के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है और अब देश के आयुष मंत्रालय ने उत्तराखंड को एक बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। उत्तराखंड की धामी सरकार को प्रदेश में पहली बार अंतरराष्ट्रीय आयुर्वेद सम्मेलन का आयोजन करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह पहली बार होगा जब उत्तराखंड अंतरराष्ट्रीय आयुर्वेद सम्मेलन का आयोजन 12 से 15 दिसंबर तक एफआरआई देहरादून में करने की तैयारी में लग गया है। अपर सचिव आयुष विजय कुमार जोगदंडे ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय आयुर्वेद सम्मेलन के लिए तैयारियां चली है। सम्मेलन के लिए एफआरआई में स्थान चयनित किया गया। इसके लिए देश दुनिया से आने वाले प्रतिनिधियों की सूची तैयार की जा रही है।

बीते वर्ष दिसंबर माह में वैश्विक निवेशक सम्मेलन के बाद प्रदेश सरकार अब अंतरराष्ट्रीय आयुर्वेद सम्मेलन कराने की तैयारियों में है। आयुष मंत्रालय के सहयोग से प्रदेश में यह पहला आयोजन होगा। सम्मेलन में 8 से 10 देशों के प्रतिनिधियों को बुलाया जाएगा। इसके अलावा देश में प्रसिद्ध आयुष चिकित्सा एवं शोध संस्थानों के विशेषज्ञ, आयुष फार्मा कंपनियां अलग-अलग सत्रों में आयुष चिकित्सा को बढ़ावा देने पर मंथन करेंगे।

गौरतलब है कि राष्ट्रीय आयुष मिशन (एनएएम) योजना के तहत घोषित कई पहलों से उत्तराखंड राज्य में आयुर्वेद, यूनानी, प्राकृतिक चिकित्सा, हर्बल दवाओं और आयुष उद्योग के विकास को बढ़ावा देने में मदद मिल रही है। उत्तराखंड में प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता रही है और उसे आयुष विधियों से इलाज की समृद्ध परंपराओं से नवाजा गया है। उत्तराखंड में इस क्षेत्र के लोगों की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों में योगदान करने की क्षमता है।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने पिछले वर्ष कहा था कि उत्तराखंड की सरकार पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में क्षमता और संसाधनों के निर्माण और उन्हें मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय आयुष मिशन को पूरा सहयोग देगी। केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों से उत्तराखंड आयुष, स्वास्थ्य सेवा, पर्यटन और शिक्षा के क्षेत्र में देश के प्रगतिशील राज्यों में से एक होगा।

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