नई दिल्ली: पृथ्वी पर खड़ा इंसान जब सूर्य की ओर देखता है, तो वो बहुत ही शांत और चमकदार दिखाई पड़ता है, लेकिन हकीकत इससे उल्टी है। सूरज पर छोटे-बड़े सौर तूफान आते रहते हैं। कई बार इनका प्रभाव पृथ्वी पर कम, तो कई बार ज्यादा होता है। अब विशेषज्ञ ने सौर तूफान को लेकर नई चेतावनी जारी की है, जिसकी वजह से इंटरनेट सेक्टर पर बहुत बुरा असर पड़ सकता है।
टेक रडार की रिपोर्ट के अनुसार बड़े सौर तूफान इंटरनेट सेवा को लंबे वक्त के लिए खराब कर सकते हैं। जिसके बाद एक महीने तक लोगों का ऑनलाइन आ पाना असंभव हो जाएगा। शोध के मुताबिक ये सौर तूफान एक दिन से भी कम समय के नोटिस के साथ पृथ्वी पर तबाही ला सकते हैं। इससे दुनिया को कोई भी महाद्वीप नहीं बचेगा। इसको लेकर कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर संगीता अब्दु ज्योति ने पिछले महीने हुए SIGCOMM 2021 सम्मेलन में एक रिपोर्ट भी प्रस्तुत की थी।
रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में इंटरनेट का जाल फैलाने के लिए समुद्र के अंदर केबल बिछाई गई हैं। वास्तव में ये केबल्स बहुत ही कमजोर होती हैं। 1800-1900 की शुरुआत में बहुत से सौर तूफान पृथ्वी से टकराए थे, अगर उस प्रकार का तूफान दोबारा आता है, तो ये केबल को प्रभावित करेगा। वहीं अपने पेपर “सोलर सुपरस्टॉर्म: प्लानिंग फॉर ए इंटरनेट एपोकैलिप्स टू वायर्ड” के बारे में बोलते हुए ज्योति ने कहा कि महामारी के वक्त हमने देखा कि दुनिया तैयार नहीं थी, उसी ने मुझे ये सोचने पर मजबूर कर दिया।
असिस्टेंट प्रोफेसर ज्योति के मुताबिक अभी दुनियाभर में इंटरनेट का बुनियादी ढांचा बड़े सौर तूफान को झेलने के लिए तैयार नहीं है। इसके अलावा हमें इस बात की भी बहुत सीमित समझ है कि नुकसान कितना होगा। आमतौर पर सौर तूफान इंसानों के लिए ज्यादा खतरा पैदा नहीं करते हैं, लेकिन वो सेटेलाइट और अन्य उपकरणों को खराब करने की क्षमता रखते हैं। साथ ही नियमित सौर हवाएं एक पूर्ण विकसित सौर तूफान में बदल जाती हैं, जिसे कोरोनल मास इजेक्शन के रूप में जाना जाता है।
ज्योति का मानना है कि फाइबर ऑप्टिक केबल के इस्तेमाल की बदौलत स्थानीय इंटरनेट बुनियादी ढांचे को सौर तूफान से काफी हद तक बचा लिया जाएगा। अगर दुनियाभर के इंटरनेट में व्यवधान उत्पन्न हुआ तो ये वैश्विक अर्थव्यवस्था को बुरी तरह से प्रभावित करेगा। सिर्फ अमेरिका की ही बात करें तो अगर वहां पर इंटरनेट बंद होता है, तो एक दिन में 7 बिलियन डॉलर से ज्यादा का नुकसान होगा।
कुछ दिनों पहले वन इंडिया से विशेष बातचीत में पर्यावरणविद, वरिष्ठ पत्रकार और जलवायु परिवर्तन की रणनीतिक संचारक डॉ. सीमा जावेद ने कहा था कि सूर्य के वायुमंडल से उत्पन्न सौर तूफान का, पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के प्रभुत्व वाले अंतरिक्ष के क्षेत्र पर बहुत ही प्रासंगिक प्रभाव हो सकता है। ये एक छेद है जो सूर्य के वातावरण में खुल गया है जो तेज गति वाली सौर हवाएं और आवेशित कणों की एक धारा बना रहा है। जिससे फोन को नुकसान हो सकता है।