उत्तर प्रदेशराज्य

यूपी चुनाव में भाजपा प्रत्याशियों को ‘विभीषणों’ से भी लड़नी होगी जंग

भाजपा की ओर से अधिकतर सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा के बाद लगभग तय है कि विधानसभा चुनाव में उसे कई सीटों पर सपा-कांग्रेस गठबंधन व बसपा के अलावा अपनी पार्टी के ‘विभीषणों’ से भी कड़ा लोहा लेना पडे़गा।
विशेषकर उन उम्मीदवारों को अधिक परेशानी का सामना करना पड़ सकता है, जो दूसरे दलों से आने के बाद भी टिकट हथियाने में कामयाब रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी समेत पूर्वांचल के जिलों में कई सीटों पर विरोध खुलकर सामने भी आ गया है। बात दीगर है कि सभी दल ऐसे ‘विभीषणों’ से जूझ रहे हैं, लेकिन भाजपा में इनकी संख्या अधिक बताई जा रही है।
भाजपा ने इस बार काडर व निष्ठावान कार्यकर्ताओं के बजाय करीब 50 फीसदी टिकट दलबदलुओं को दिए गए हैं। इससे काडर कार्यकर्ताओं में जबर्दस्त आक्रोश है। विशेषकर उन सीटों पर भितरघात का अधिक खतरा है, जहां भाजपा के आयातित उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं।
इन सीटों पर टिकट न मिलने से नाराज पुराने भाजपाई व उनके समर्थक आयातित उम्मीदवार को सबक सिखाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। नाराज कार्यकर्ता कई सीटों पर निर्दल या फिर किसी क्षेत्रीय दल का टिकट लेकर भाजपा के लिए मुसीबत खड़ी करने की तैयारी कर रहे हैं।

पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में भी बगावती सुर 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की शहर दक्षिणी सीट पर लगातार सात बार से विधायक श्यामदेव राय चौधरी का टिकट काटे जाने से कार्यकर्ताओं में भारी रोष है, तो वाराणसी कैंट से मौजूदा विधायक ज्योत्सना श्रीवास्तव के पुत्र सौरभ को उम्मीदवार बनाए जाने से पुराने कार्यकर्ता बगावत की तैयारी में जुट गए हैं।

शहर उत्तरी सीट पर मौजूदा विधायक व दबंग छवि के रविंद्र जायसवाल को टिकट देने के खिलाफ भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश महामंत्री सुजीत सिंह टीका ने बगावत का झंडा उठा लिया है।

टीका का कहना है कि रविंद्र अगर जीते तो उनकी हत्या करा सकते हैं। 2012 में टीका का नामांकन यह कर वापस करा दिया गया था कि अगली बार उन्हें मौका जरूर मिलेगा। कमोबेश यही स्थिति रोहनिया व शिवपुर की भी है।

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