आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट में भारत से शामिल होने वाले आतंकियों को पासपोर्ट वेरिफिकेशन में मदद मिल रही थी। इस संबंध में तमिलनाडु का एक पुलिस अधिकारी शक के घेरे में है। एनआईए इसकी जांच कर रही है। आरोप हैं कि आईएस के टॉप लड़ाकों में शामिल कन्नूर के शाहजहां वेल्लू कैंडी जैसों के फेक पासपोर्ट के अनिवार्य पुलिस वेरिफिकेशन में मदद की गई। शाहजहां इस फेक पासपोर्ट की मदद से सीरिया जाने के क्रम में तुर्की पहुंचा था।
शाहजहां को 22 मार्च 2017 को चेन्नै रिजनल पासपोर्ट ऑफिस से पासपोर्ट जारी किया गया था। एनआईए द्वारा दाखिल की गई चार्जशीट के मुताबिक 32 साल के शाहजहां का ताल्लुक पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया से था। उसने फरवरी 2017 में दो बार अपने अन्य सहयोगियों के साथ केरल से तुर्की के रास्ते सीरिया में घुसने की कोशिश की थी। इसके बाद उसने अप्रैल 2017 में फिर से एक बार ऐसी कोशिश की।
चार्जशीट के मुताबिक इस्तांबुल में एक रूसी एजेंट ने सीरिया तक पहुंचने में शाहजहां की मदद भी की थी। हालांकि अबतक एनआईए ने हेड कॉन्स्टेबल को अपनी चार्जशीट में आरोपी नहीं बनाया है लेकिन सूत्रों का कहना है कि उसके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी। चार्जशीट के मुताबिक शाहजहां हिजरा (सीरिया/इराक पहुंचकर इस्लामिक स्टेट की कार्रवाइयों में शामिल होना) के लिए इतना बेचैन था कि उसने अपनी गाड़ी और बीवी के गहने तक बेच दिए थे।
जुलाई 2016 में उसने मां के नाम रजिस्टर्ड मारुति स्विफ्ट (वीडीआई) कार को ओएलएक्स पर 4 लाख 5 हजार रुपये में बेच दी। इसके बाद उसने अपनी बीवी के 34.76 ग्राम वजन के सोने के गहनों को कन्नूर में मालाबार गोल्ड ऐंड डायमंड्स को 98092 रुपये में बेचा। इसके अलावा उसने बीवी और दो बेटों के साथ पहली बार भारत छोड़ने से पहले अपने बचत खाते में 1.5 लाख रुपये की राशि भी निकाली थी।